MP Nikay Chunav: जीतकर भी क्यों टेंशन में शिवराज, समझें पिछड़कर भी कांग्रेस की खुशी का राज
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जहां 9 शहरों नगर निगम में जीत हासिल हुई है तो कांग्रेस को 5 मेयर पद हासिल हुए हैं। यह नगर निगम में कांग्रेस का सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं और अब राजनीतिक दल नफा-नुकसान के आकलन में जुट गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जहां 9 शहरों नगर निगम में जीत हासिल हुई है तो कांग्रेस को 5 मेयर पद हासिल हुए हैं। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी सिंगरौली में जीत हासिल करते हुए मजबूत दस्तक दी है। हालांकि, नगर पालिका और नगर परिषद में जरूर बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी कुछ वार्ड जीतकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया है।
9 शहरों में जीतकर भी क्यों टेंशन में बीजेपी
नतीजों के बाद भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत अन्य नेता खुशी का इजहार कर रहे हैं और नगर पालिका-नगर परिषद का हवाला देते हुए इसे ऐतिहासिक जीत बता रहे हैं। लेकिन सच यह है कि पार्टी रणनीतिकारों के लिए चुनाव परिणाम ने कई मायनों में चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, पिछले चुनाव में भाजपा ने सभी 16 नगर निगम में भगवा परचम लहराया था। इस लिहाज से पार्टी को 6 शहरों में मेयर का पद गंवाना पड़ा है। वहीं, कुछ सीटों पर मामूली अंतर से जीत मिली है। चिंता की बात यह भी है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।
क्या है कांग्रेस की खुशी का राज
कांग्रेस पार्टी ने ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, रीवा और मुरैना में जीत हासिल की है। 5 शहरों में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस के नेता गदगद हैं। इसकी वजह सिर्फ यह नहीं है कि पिछली बार कांग्रेस एक भी निगम नहीं जीत पाई थी, बल्कि यह पहली बार है जब पार्टी ने 5 शहरों में मेयर का पद हासिल किया है। दरअसल, बीजेपी को शहरों की पार्टी समझा जाता है। पार्टी हमेशा से नगरीय इलाकों में मजबूत रही है और कांग्रेस पार्टी को ग्रामीण इलाकों में अधिक मजबूत माना जाता है। लेकिन इस बार बीजेपी को कई शहरों में झटका लगा है तो कांग्रेस ने उस क्षेत्रों में सेंधमारी की है, जिन्हें बीजेपी का गढ़ माना जाता है।
सिंधिया को गढ़ में पटखनी देने से खुश हैं कांग्रेस नेता
दो साल पहले कांग्रेस में बगावत करके मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में भी जीत मिलने से कांग्रेस बेहद उत्साहित है। पार्टी के कई नेता इसे सिंधिया से बदला बता रहे हैं। कांग्रेस से वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी ट्विटर पर लिखा कि ग्वालियर में मिली जीत से ज्यादा खुशी उन्हें किसी चीज में नहीं हुई है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस हार के बाद सिंधिया पर जमकर निशाना साधा है। ग्वालियर में जहां कांग्रेस ने 57 साल बाद जीत हासिल की थी तो जबलपुर में करीब दो दशक बाद परचम लहराया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।