रिश्ते पर हावी ना होने दें एंजायटी का असर, इन तरीकों से संभालें लाइफ पार्टनर की मेंटल हेल्थ
चिंता, परेशानी और एंग्जाइटी का शिकार कोई भी और कभी भी हो सकता है। पर, अगर साथी एंग्जाइटी से पीड़ित हो तो उसका नकारात्मक असर रिश्ते पर पड़ना लाजमी है। कैसे थोड़ी-सी समझदारी से साथी की एंग्जाइटी का असर रिश्ते पर आने से रोकें, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी।
चिंता, चिता समान... हम जानते हैं, पर फिर भी उसके दंश से बच नहीं पाते। दबे पांव वह हमारी या हमारे अपनों की जिंदगी में दाखिल कर जाती है और हम उससे अनजान ही रह जाते हैं। आपके या आपके पाटर्नर की जिंदगी में चिंता का दखल आपकी हंसती- खेलती जिंदगी में स्पीड ब्रेकर का काम कर जाता है। अध्ययन बताते हैं कि अधिकांश जोड़े अपने रिश्ते में चिंता और एंग्जाइटी के कारण होने वाले मतभेदों को समझने और निपटने से बचते हैं। इसकी वजह से अनजाने में ही सही वे अपनी परेशानियों को बढ़ा जाते हैं। चिड़चिड़ापन, थकान सरीखे तमाम लक्षण हैं, जिनके चलते आपसी संवाद कम हो जाता है, जो गलतफमियों को जगह देता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप समय रहते समस्या को समझें और उसे सुलझाने की दिशा में प्रयास करें।
पहचानें लक्षणों को
समस्या को समस्या मानने के लिए जरूरी है कि आप उस बारे में जानकारी रखें। एंग्जाइटी के मामले में इसकी जरूरत और बढ़ जाती है क्योंकि इसके लक्षण खांसी-जुकाम से नहीं होते, जो आसानी से नजर आ जाएं। मनोचिकित्सक डॉ. स्मिता श्रीवास्तव कहती हैं कि एंग्जाइटी का मरीज अकसर थका हुआ महसूस कर सकता है। पर, इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि वह कभी भी, कहीं भी जाने के लिए राजी न हो। वह उस जगह पर जाने से बचेगा, जो उसे असहज कर दें। एंग्जाइटी के कुछ शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे नींद की समस्या, हाथों में ठंडा पसीना आना, मुंह सूखना, बेचैनी, जी मिचलाना, कांपना, छाती में दर्द, हाथ-पैरों झनझनाहट और पेट में दर्द आदि। कैसे इस चुनौती का सामना करने में साथी की मदद करें, आइए जानें:
बनिए अच्छी श्रोता
ऐसी स्थिति में कई बार पार्टनर अपने दिल की बात या उलझन खुलकर बता नहीं पाता और उसके भीतर चल रहे उतार-चढ़ाव, नकारात्मक विचार पूरे माहौल पर प्रतिकूल असर डालते हैं। ऐसे में आपकी भूमिका शुरू होती है। जो है, एक अच्छा श्रोता बनना। हो सकता है आपको समाने वाले की बातें और समस्याएं तार्किक न लगें, फिर भी आपको शांत मन से उसको सुनना होगा। आपको उसे यह भरोसा दिलाना होता है कि आप वास्तव में उन्हें सुनना चाहती हैं। आपको साथी के लिए एक सुरक्षित जगह बनानी होगी, जहां वह यह महसूस कर सकें कि उनकी समस्या की वजह से आप उनके बारे में कोई राय नहीं बनाएंगी। साथी को अपने रवैये से यह विश्वास दिलवाएं कि वह आपसे बिना किसी डर के अपनी भावनाएं साझा कर सकता है।आपको प्रयास करने होंगे, स्नेह व्यक्त करना होगा। एक-दूसरे को समय देना होगा। इसके लिए आप अच्छी यादों को ताजा कर सकती हैं, घूमने जाने की योजना बना सकती हैं। माइंडफुलनेस अभ्यासों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इन सबसे आप दोनों को लाभ मिलेगा।
रहें सजग।
जब आपका पार्टनर चिंताग्रस्त हो, तो सबसे ज्यादा जरूरी है आपका उसके बारे में चिंतित महसूस करना। साथ ही एंग्जाइटी के बारे में खुद को शिक्षित करना। यह ज्ञान आपको अपने साथी के संघर्ष में मददगार बनाएगा। डॉ. स्मिता कहती हैं कि यह जानने की कोशिश कीजिए कि आपका पार्टनर वास्तव में किस दौर से गुजर रहा है। उन बातों और व्यवहारों को नोटिस कीजिए जो आपके साथी की समस्या को बढ़ा देती हैं, साथ ही खुद को शांत रखिए। जानकारों की मानें तो हम दूसरे के न्यूरोट्रांसमीटर को प्रतिबिम्बित करते हैं। शांत बने रहने से चिंता भरे उस पल से सामने वाले को बाहर निकला जा सकता है।
लें चिकित्सकीय परामर्श
हर शख्स की जिंदगी में चिंता के पल आते हैं। लेकिन अगर वह रिश्तों पर प्रतिकूल असर डालने लगें तो मुमकिन है कि इससे उबरने के लिए आपको पेशेवर मदद की आवश्यकता है। बकौल डॉ. स्मिता, एंग्जाइटी का इलाज आसान है। इसके लक्षण थेरेपी और काउंर्संलग से ठीक किए जा सकते हैं। जरूरत है, बस सही समय और सही तरीके से इन्हें करने की।
खोजें, साथी से जुड़ने का तरीका
वो कहते हैं न, जिसके पांव ना फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई। यह बात एंग्जाइटी के मामले पर भी लागू होती है। यहां सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने पार्टनर की मनोदशा को कितना समझ पा रही हैं। साथी की मनोदशा को महसूस करने के लिए आप उस चीज, वक्त के बारे में सोचें जब आप चिंतित थीं और उसके स्तर को दस गुना बढ़ा दें। आपका पार्टनर उस वक्त वैसा ही महसूस कर रहा होता है, जैसा आपने उस वक्त महसूस किया। अपने खुद के अनुभव से आप अपने पाटर्नर को समझ पाएंगी।
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