बच्चों को खाली पेट क्यों नहीं देनी चाहिए लीची? पढ़ें ये 5 बड़े नुकसान
आईसीएमआर की रिसर्च के अनुसार खासतौर पर कुपोषित या फिर किसी तरह के संक्रमण से जूझ रहे बच्चों का खाली पेट एमसीपीजी युक्त फल खाना जानलेवा हो सकता है। आइए जानते हैं आखिर खाली पेट बच्चों को लीची क्यों नहीं देनी चाहिए, ऐसा करने पर सेहत को क्या बड़े नुकसान हो सकते हैं।

गर्मियों का मीठा और रसीला फल, लीची खाने में बेहद टेस्टी होता है। लीची की खुशबू और मिठास खासतौर पर बच्चों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करती है। लीची का सेवन स्वाद के साथ सेहत का भी खास ख्याल रखता है। लीची में मौजूद कई पोषक तत्व सेहत को गजब के फायदे देते हैं। सेहत के लिए लीची के कई फायदे होने के बावजूद क्या आप जानते हैं गलत तरीके से किया गया लीची का सेवन जान के लिए बड़ा खतरा भी पैदा कर सकता है। आईसीएमआर की रिसर्च के अनुसार खासतौर पर कुपोषित या फिर किसी तरह के संक्रमण से जूझ रहे बच्चों का खाली पेट एमसीपीजी युक्त फल खाना जानलेवा हो सकता है। आइए जानते हैं आखिर खाली पेट बच्चों को लीची क्यों नहीं देनी चाहिए, ऐसा करने पर सेहत को क्या बड़े नुकसान हो सकते हैं।
बच्चों को खाली पेट लीची देने के नुकसान
हाइपोग्लाइसीमिया
बड़ी मात्रा में खाली पेट लीची का सेवन हाइपोग्लाइसीमिया का जोखिम बढ़ाकर जान के लिए खतरा पैदा कर सकता है। लीची में हाइपो ग्लाइसिन ए (Hypoglycin A) और मेथिलीन साइक्लोप्रोपिल ग्लाइसिन (MCPG) नामक दो तत्व पाए जाते हैं। ये दोनों ही तत्व प्राकृतिक रूप से विषैले और घातक होते हैं। हाइपो ग्लाइसिन ए मुख्य रूप से अधपकी लीची में पाया जाता है। जो शरीर में ग्लूकोज के उत्पादन की प्रक्रिया को रोककर शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को अचानक से गिरा सकता है। जिससे व्यक्ति को हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) हो सकता है। अगर हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज समय न किया जाए तो इससे बच्चे की मौत हो जाती है।
फूड पॉयजिनिंग का खतरा
खाली पेट लीची खाना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। लीची में मौजूद मेथिलीन साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन नामक केमिकल पेट में एसिडिटी, ब्लोटिंग, बदहजमी और फूड पॉयजिनिंग का कारण बन सकता है।
लो ब्लड शुगर का कारण
लीची में मौजूद साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन केमिकल ब्लड शुगर को लो कर सकता है, जिससे बच्चे को कमजोरी, चक्कर और बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती है।
एलर्जी
लीची में छिपे हुए कुछ माइक्रोब्स फूड प्वाइजनिंग और एलर्जी का कारण बन सकते हैं। जिसकी वजह से त्वचा पर लाल चक्ते और रैशेज आ सकते हैं।
दिमागी बुखार
बिहार में कुछ बच्चों में लीची का अधिक सेवन करने पर दिमागी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के लक्षण देखे गए हैं। दिमागी बुखार को स्थानीय लोग 'चमकी बुखार' के नाम से भी जानते हैं। जिससे पीड़ित बच्चे के दिमाग में सूजन आने से उसे बुखार, उल्टी, बेहोशी या दौरे जैसी परेशानी महसूस होती है।
सलाह
लीची कोई जहरीला फल नहीं है, लेकिन इसका गलत सेवन इसे सेहत के लिए बड़ा खतरा बना सकता है। घर के छोटे बच्चों को खाली पेट लीची खिलाने से बचें। इसके अलावा एक साथ खूब सारी लीची खाने के लिए न दें। बच्चे को लीची खिलाने के बाद शारीरिक कमजोरी, उल्टी और बेहोशी जैसे लक्षण महसूस होने तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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