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एक्सपर्ट ने बताया कि आखिर क्यों होता है मीठा खाने का मन, जानिए बदलते मौसम में कैसा हो खानपान

  • हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम केजरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार आहार विशेषज्ञ देंगी आपके सवालों के जवाब। हमारी एक्सपर्ट हैं, कविता देवगन

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 3 Aug 2024 02:44 AM
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कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके जवाब को जानने के लिए लोग काफी उत्सुक होते हैं। इन सवालों में से एक है कि आखिर क्यों किसी को मीठा खाने की क्रेविंग होती है। इस सवाल का जवाब एक्सपर्ट ने दिया है। इसी के साथ उन्होंने ये भी बताया है कि मानसून में बच्चों की डायट में किन चीजों को शामिल करना चाहिए और किसे नहीं। आप भी जानिए-

• पिछले कुछ समय से खाना खाने के बाद मुझे मीठा खाने की इच्छा बहुत ज्यादा होने लगी है। ज्यादा मीठा खाने की इच्छा क्यों होती है और इस पर नियंत्रण लाने के लिए क्या किया जा सकता है?

-अराध्या बंसल, नई दिल्ली

कई दफा हार्मोनल असंतुलन, खून में शुगर की मात्रा में कमी और कमजोर पाचन तंत्र के कारण शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है, जो मस्तिष्क को कोई खास चीज खाने का संदेश देता है। अमूमन ऐसी स्थिति में कार्बोहाइड्रेट या कुछ मीठा खाने का मन करता है, जो बदले में शरीर में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन का स्राव बढ़ाता है। कई बार शरीर में कुछ विशेष पोषक तत्व की कमी के कारण भी कुछ खास चीज खाने का मन करता है। जब शरीर में मैग्नीशियम की कमी होती है, तो कुछ मीठा खासतौर से चॉकलेट खाने का मन करता है। अगर आपको चॉकलेट खाने का बार-बार मन करता है, तो ऐसी स्थिति में अपनी डाइट में नियमित रूप से बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीज को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जी को आहार का हिस्सा बनाने से भी शरीर में मैग्नीशियम की कमी दूर होगी। वहीं शरीर में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा को बरकरार रखने के लिए नियमित रूप से अंडा, दूध, मीट और स्प्राउट्स को डाइट में शामिल करें। फल और साबुत आनाज भी नियमित रूप से खाएं। इस बात को ध्यान में रखें कि संतुलित आहार लेने से ही क्रेविंग्स को कम किया जा सकता है। क्रेविंग को काबू में रखने के लिए खाना खाने के बाद गुड़ का एक टुकड़ा धीरे-धीरे खाएं या फिर खजूर धीरे-धीरे चबाकर खाएं। अगर मीठा खाने का बहुत ज्यादा मन करता है तो खाना खाने के आधे घंटे बाद एक कप गुनगुना पानी या फिर ग्रीन टी पिएं। क्रेविंग्स को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

• मानसून शुरू होते ही मेरे दस साल के बच्चे को पेट से जुड़ी परेशानियां बहुत ज्यादा होने लगी हैं। ऐसा क्यों हो रहा है और इससे छुटकारा पाने के लिए मुझे उसकी डाइट में किन चीजों को शामिल करना चाहिए?

-कल्पना तिवारी, वाराणसी

बदलते मौसम के अनुरूप हमें अपने खानपान में भी बदलाव लाना चाहिए। बारिश के मौसम में खानपान से जुड़े कुछ नियमों को हमें हमेशा याद रखना चाहिए ताकि वायरस सेहत पर आक्रमण न कर सकें:

• गर्मी के मौसम में जहां पानी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे तरबूज और खीरा आदि खाने की सलाह दी जाती है, वैसे ही मानसून में कम पानी वाले खाद्य पदार्थों जैसे बेसन, भुट्टा और सूखी सब्जियों को आहार का हिस्सा बनाएं।

•आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों को डाइट का हिस्सा बनाएं क्योंकि इस मौसम में ज्यादा उमस के कारण पाचन तंत्र थोड़ा सुस्त हो जाता है। ऐसे ही आहार में मसालों की मात्रा भी कम कर दें।

• खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन इस मौसम में कम कर दें। इस मौसम में इंफेक्शन होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता सबसे कमजोर। अपनी डाइट में लहसुन, प्याज, हल्दी, मेथी दाना और करेला जैसी चीजों को नियमित रूप से शामिल करें।

• इस मौसम में सलाद और हरी पत्तेदार सब्जियों से दूर रहें।

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