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महिआओं को हो सकती हैं यूट्रस से जुड़ी ये दिक्कतें, जानें लक्षण और बचाव

  • यूट्रस यानी बच्चेदानी का संबंध सिर्फ पीरियड से ही नहीं, बल्कि पूरे प्रजनन तंत्र से है। इसे सेहतमंद रखने के लिए यूट्रस को बेहतर तरीके से समझना जरूरी है। कौन-कौन सी चीजें हमारे प्रजनन तंत्र को प्रभावित करती हैं और कैसे इसे रखें सेहतमंद, बता रही हैं डॉ. अनीता कांत

Kajal Sharma हिंदुस्तानFri, 28 June 2024 05:04 PM
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प्रजनन प्रणाली महिलाओं के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रजनन क्षमता, मासिक धर्म और उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। प्रजनन प्रणाली का मुख्य हिस्सा होता है, यूट्रस यानी बच्चेदानी। इसकी अच्छी सेहत के लिए सक्रिय रणनीति, डॉक्टर से नियमित मुलाकात और जीवनशैली में जरूरी बदलाव शामिल हैं। जीवन के विभिन्न चरणों में महिलाओं को कुछ विशेष यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे अनियमित पीरियड, कमजोर होती प्रजनन क्षमता, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर (सर्विकल कैंसर) की जांच, गर्भनिरोधक विकल्प और यौन संचारित रोग यानी एसटीडी। इसके अलावा कई महिलाएं पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवर्री ंसड्रोम) का अनुभव करती हैं, जो एक सामान्य हार्मोनल असंतुलन है। पीसीओएस अनियमित पीरियड और गर्भधारण में समस्याओं का कारण बन सकता है। प्रजनन आयु की लगभग 10% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवर्री ंसड्रोम से पीड़ित होती हैं। यूट्रस की सेहत को किन-किन बीमारियों से रहता है खतरा, आइए जानें:

प्रजनन क्षमता पर ये डालते हैं असर

एंडोमेट्रियोसिस: इसमें गर्भाशय की परत जैसी ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ते हैं, जिससे योनि में दर्द और बांझपन होता है। ये टिश्यू पेट की गुहा, मूत्राशय, मलाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय तक चले जाते हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण हर माह पीरियड से पहले और पीरियड के दौरान बहुत ज्यादा दर्द और सूजन की समस्या होती है। यह बीमारी जीवनशैली को ज्यादा प्रभावित करती है।

लेयोमायोमा: दस में से दो महिलाएं अपने जीवनकाल में लेयोमायोमा (जिसे आमतौर पर गर्भाशय फाइब्रॉइड्स कहा जाता है, जो गर्भाशय की मांसपेशी परत से उत्पन्न होने वाली एक प्रकार की गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि होती है) से प्रभावित होती हैं। ये घातक नहीं होती हैं। जबकि एक सच्चाई यह भी है कि कई महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि इसकी वजह से वे बांझपन की शिकार भी हो सकती हैं।

यौन संबंध के प्रति अनिच्छा: शारीरिक संबंध बनाते वक्त दर्द या शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा न होना भी प्रजनन तंत्र से जुड़ी एक आम समस्या है। यह किसी भी महिला को प्रजनन वर्षों के दौरान किसी भी समय हो सकता है, जो जीवन की परिस्थितियों और मौसमों के अनुसार बदलता रहता है। इस बात को समझना जरूरी है कि यौन रोगों का संबंध सिर्फ शारीरिक समस्या से ही नहीं, बल्कि हार्मोनल, मनोवैज्ञानिक या सामाजिक मुद्दों से भी जुड़ा हो सकता है। इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए पहले आपको उन कारकों को समझना होगा, जो इस परेशानी के लिए जिम्मेदार हैं। इन कारणों में आपकी भावनात्मक स्थिति, आपकी आहार संबंधी जरूरतें, आप कितनी निकटता चाहती हैं और नींद जैसे मुद्दे शामिल हैं।

बांझपन: महिला के प्रजनन स्वास्थ्य पर गर्भावस्था और बांझपन से जुड़ी समस्याओं का भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं में बांझपन के पांच मुख्य कारण होते हैं। इनमें अज्ञात कारणों से होने वाला बांझपन, संक्रमण, गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा की समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, ओवुलेटरी विकार, संरचनात्मक समस्याएं और संक्रमण शामिल हैं। ओवुलेटरी विकार में प्रीमेच्योर ओवेरियन इन्सफिशिएंसी (पीओआई) एक प्रमुर्ख ंचता का कारण है। यह एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन बहुत जल्दी होती है और 40 वर्ष की आयु में अंडाशय अंडे का उत्पादन करना बंद कर देती हैं। कुछ महिलाओं में इसके परिणामस्वरूप अंडाशय की कार्यक्षमता में जल्दी गिरावट और हड्डियों, हृदय आदि पर मेनोपॉज के प्रारंभिक प्रभाव दिखाई दे सकते हैं। प्रजनन प्रणाली को सुरक्षित रखने के लिए किन बातों का रखें ध्यान, आइए जानें:

नियमित जांच और चेकअप जरूरी

सालाना जांच के लिए अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ नियमित अप्वॉइंटमेंट के अलावा आपको अपने फिजिशियन से भी सालाना जांच करवानी चाहिए। आपकी गाइनेकोलॉजिस्ट पेल्विक की जांच कर यह बता सकेगी कि आपका प्रजनन तंत्र अच्छी तरह काम कर रहा है या नहीं। स्तन जांच के अलावा, आपका डॉक्टर स्तन गांठ/कैंसर के लक्षणों के लिए आपकी जांच करेंगे और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर टेस्ट कराएंगे । नियमित अंतराल पर मैमोग्राम, पैप स्मीयर और एचपीवी परीक्षण आदि करवाने से असामान्यताओं का जल्द पता चलेगा और कोई बीमारी होने पर उसके सफल इलाज की संभावना बढ़ जाएगी।

कठोर क्लीनर से बचें

अपने प्राइवेट पाट्र्स को धोते समय इसके लिए मार्केट में उपलब्ध कठोर क्लीनर या सुगंधित साबुन का उपयोग करने से बचें। ये उत्पाद त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं या संभवत: बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके बजाय, अपने बाहरी जननांग क्षेत्र (वुल्वा) को हल्के, बिना सुगंध वाले साबुन से धोएं। अगर बिना सुगंध वाले साबुन से भी जलन होती है, तो आप उसकी जगह गुनगुना सादा पानी का उपयोग कर सकती हैं।

उचित अंडरगारमेंट्स पहनें

यह सलाह विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें यीस्ट संक्रमण की आशंका अधिक होती है। चूंकि यीस्ट नमी वाली जगहों पर पनपता है, इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त वेंटिलेशन आवश्यक है। सूती अंडरगार्मेंट्स पहनें। मूत्र मार्ग के संक्रमण को रोकने के लिए सुनिश्चित करें कि आपका अंडरवियर बहुत टाइट न हो। गंदे टॉयलेट सेट से बचें।

सुरक्षित यौन व्यवहार अपनाएं

सुरक्षित यौन संबंध अपनाएं। इसका मतलब है कि यौन गतिविधि को ऐसे तरीके से करें जिससे आप और आपके साथी अनचाहे गर्भधारण और यौन संचारित रोगों (एसटीडी) से सुरक्षित रहें। कंडोम का इस्तेमाल गर्भधारण से बचाव के साथ-साथ कई एसटीआई (यौन संचारित संक्रमणों) से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

आसान आदतें, सेहतमंद यूट्रस

फल, सब्जी, साबुत अनाज आदि से युक्त संतुलित आहार का सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्जी, मेवा और बेरीज का सेवन करें। सूजन से राहत मिलेगी। कैल्शियम व विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से एंडोमेट्रियोसिस और फाइब्रॉयड्स से बचने में मदद मिलेगी।

हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें। नियमित व्यायाम से रक्तसंचार बेहतर होगा और यूट्रस तक ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की पहुंच बेहतर होगी।

विभिन्न अध्ययनों की मानें तो वजन नियंत्रित रखने से फाइब्रॉइड्स, पीसीओएस और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा कम होता है।

तनाव से दूर रहें। शरीर में तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कोर्टिसोल के ज्यादा स्राव से हार्मोन का असंतुलन बढ़ता है और साथ ही इससे फर्टिलिटी और पीरियड का चक्र भी प्रभावित होता है।

(लेखिका एशियन अस्पताल, फरीदाबाद में गाइेनेकोलॉजिस्ट विभाग और रोबोटिक सर्जरी की अध्यक्ष हैं)

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