फ्रोजन सब्जियां क्या सेहत को पहुंचाती हैं नुकसान, जानें जंक फूड की लत छोड़ने का तरीका
- हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम केजरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार आहार विशेषज्ञ देंगी आपके सवालों के जवाब। हमारी एक्सपर्ट हैं, कविता देवगन
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फ्रोजेन सब्जियों के साथ ही जंक और प्रोसेस्ड फूड खाने के शौकीनों की कमी नहीं है। कुछ लोग तो रोजाना के रूटीन में इन चीजों को खाते हैं। लेकिन क्या वाकई ये सेहत के लिए अच्छी होती हैं। आइए, एक्सपर्ट से जानते हैं कुछ सवालों के जवाब।
• मैं एक कामकाजी महिला हूं। पिछले कुछ समय से मैं खाना बनाने में फ्रोजेन सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी हूं। क्या सेहत के लिहाज से ये नुकसानदेह हैं? फ्रोजेन सब्जियों व अन्य सामग्री का इस्तेमाल करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
-आरोही श्रीवास्तव, रांची
फ्रोजेन फूड और सब्जियों का सेवन करने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि उनमें पोषक तत्वों की मात्रा ताजे फल व सब्जियों जैसी ही होती है। अमूमन इन्हें उस वक्त जमाया जाता है, जब वे अच्छी तरह से पक चुके होते हैं और उनमें पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं। अगर ये कहा जाए कि पोषक तत्वों के मामले में फ्रोजेन फूड ताजे फल व सब्जियों के बराबर ही होते हैं, तो गलत नहीं होगा। पर, फ्रोजेन फूड की खरीदारी करने से पहले यह जरूरी है कि उस पर लिखे पोषक तत्वों और सामग्री की जानकारी को अच्छी तरह से पढ़ा जाए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि समय के साथ उनकी गुणवत्ता में कमी आ सकती है, इसलिए हमेशा पैकेजिंग की तारीख जांचने के बाद ही खरीदारी करें। पैकेजिंग जितनी नई होगी, फल और सब्जियों में पोषक तत्वों की मात्रा उतनी ज्यादा होगी। हमेशा पैकेट पर लिखे स्टोरेज और कुकिंग के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
• मुझे जंक और प्रोसेस्ड फूड खाने की लत लग चुकी है। मैं इससे छुटकारा पाकर सेहतमंद खानपान की ओर रुख करना चाहती हूं, पर समझ ही नहीं आ रहा है कि इसकी शुरुआत कैसे करूं। कृपया मदद करें।
-प्रियंका दीवान, लखनऊ
आप जितना ज्यादा जंक और प्रोसेस्ड फूड खाएंगी, आपको उनकी उतनी ज्यादा लत लगती जाएगी। इस लत से छुटकारा पाने की दिशा में पहला कदम है, समस्या को स्वीकारना। अब बात आती है कि इस लत से छुटकारा कैसे पाया जाए? सबसे पहले यह तय कर लें कि आप एक माह में दो बार से ज्यादा जंक फूड का सेवन नहीं करेंगी। इस नियम को मन-ही-मन न सोचें बल्कि घर के विभिन्न हिस्सों में कागज पर लिखकर चिपका लें। इससे अपने बनाए नियम पर डंटे रहने में आपको मदद मिलेगी। अगर एक बार में जंक फूड को अपनी जिंदगी से बाहर का रास्ता दिखाने में आपको समस्या आ रही है, तो शुरुआत उसकी मात्रा कम करने से करें। मसलन, पिज्जा खाने का बहुत ज्यादा मन कर रहा है तो सब्जियों वाला पिज्जा फ्रेंज फ्राइज की जगह सलाद के साथ ऑर्डर करें। कोल्ड ड्रिंक ऑर्डर नहीं करें, फिर चाहे आपको कितना भी लुभावना ऑफर क्यों न मिल रहा हो। पिज्जा भी दो स्लाइस से ज्यादा ना खाएं। सुपर साइजिंग की अवधारणा को समझें और इससे बच कर रहें। बाहर का खाना कम मात्रा में खाने के लिए आपको ज्यादा खर्च करने की जरूरत होगी। यह ग्राहकों को ज्यादा खरीदने के लिए मजबूर करने का मार्केटिंग का तरीका है। पर, कम खर्च में ज्यादा खरीदारी करने से सेहत के मामले में आपको कोई लाभ नहीं होगा। इससे आप सिर्फ ज्यादा वसा, कोलेस्ट्रॉल और चीनी का सेवन मात्र करेंगी। इन सबके अलावा अपनी डाइट पर भी ध्यान दें। बहुत बार नियमित खानपान में पोषक तत्वों की कमी अपने जंक फूड की ओर ज्यादा धकेलती है। इसलिए नियमित रूप से पोषक तत्वों से भरपूर थाली का सेवन करने की ओर भी ध्यान दें।
• मेरा बच्चा 6 माह का होने वाला है। उसकी सॉलिड डाइट में अभी मुझे किन चीजों को शामिल करना चाहिए?
- कविता गुप्ता, मेरठ
छह माह की उम्र में आप अपने शिशु को पीसा हुआ और पकाया हुआ अनाज दे सकती हैं। पका केला, उबला आलू, उबला शकरकंद, गाजर, पालक, सेब और नाशपाती भी शिशुओं के शुरुआती खानपान के लिए अच्छा विकल्प है। चिकन को पकाकर और उसकी प्यूरी तैयार करके भी आप अपने बच्चे को दे सकती हैं। बच्चे को सॉलिड आहार की शुरुआत करते वक्त एक बार में कोई एक ही खाद्य पदार्थ दें। खाने की मात्रा कम रखें। इससे आपको यह पता लगाने में आसानी होगी कि बच्चे को किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है या नहीं। वसा युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे चीज और दही आदि भी आप इस उम्र से अपने बच्चे को दे सकती हैं। बच्चे के लिए हमेशा ऐसे प्रोडक्ट्स चुनें, जिनमें अलग से शुगर ना मिलाया गया हो यानी उस पर ‘नो ऐडेड शुगर’ लिखा हो। शुरुआत में दिन में दो बार बच्चे को सॉलिड खाना दें और फिर धीरे-धीरे इसकी मात्रा तीन बार करें। चावल और मूंग दाल की पतली खिचड़ी भी आधे चम्मच घी के साथ उसे दें।
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