Hindi Newsझारखंड न्यूज़Jharkhand high court commented on land change of Eklavya School says who will rule state law or violators

एकलव्य स्कूल की जगह बदलने पर झारखंड हाई कोर्ट सख्त, बोला- क्या उपद्रवियों की मर्जी चलेगी?

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि किसकी इजाजत से एकलव्य स्कूल के शिलान्यास स्थल को बदल कर नई जगह पर निर्माण का निर्णय लिया गया। राज्य में कानून का राज चलेगा या उपद्रवियों का।

Abhishek Mishra हिन्दुस्तान, रांचीWed, 6 March 2024 08:55 AM
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रांची के मांडर थाना क्षेत्र के चान्हो में बनने वाले एकलव्य स्कूल के लिए चयनित स्थान को दूसरी जगह बदलने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि किसकी इजाजत से एकलव्य स्कूल के शिलान्यास स्थल को बदल कर नई जगह पर निर्माण का निर्णय लिया गया। राज्य में कानून का राज चलेगा या उपद्रवियों का।

सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने की। मामले में केंद्र व राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। साथ ही जुर्मान की राशि 25-25 हजार रुपए में किसी प्रकार कोई राहत नहीं दी।

अदालत ने कहा कि स्कूल निर्माण कर रही कंपनी दूसरी जगह स्कूल भवन बना रही है, क्या उसे अधिकार है कि वह जगह बदल सके। पूर्व में पुराने स्थल पर जहां स्कूल बन रहा था, वहां बाउंड्रीवॉल तोड़ा गया, उसका खर्च कौन उठाएगा।

अगर केंद्र सरकार इस खर्च को वहन नहीं कर रही है, तो राज्य सरकार किसके पैसे से उसका भुगतान करेगी। डीपीआर बनाने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के द्वारा वहां शिलान्यास किया गया था। राज्य सरकार ने उसके लिए जगह चिन्हित कर जमीन दी थी। इसके बाद नई जगह पर एकलव्य स्कूल बनाने का निर्णय क्यों लिया गया। कोर्ट ने मामले में केंद्र व राज्य सरकार के जवाब पर प्रार्थी को अपना प्रतिउत्तर देने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है।

दरअसल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मांडर में एकलव्य स्कूल के लिए जो सबसे पहले जगह चयनित हुआ है, उसी जगह पर स्कूल बनाएं। मांडर के चान्हो में एकलव्य स्कूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 5.23 करोड़ रुपये फंड भी आवंटित किया है। लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा स्कूल का स्थान बदलने को लेकर हंगामा किया गया था। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ क्या-क्या एक्शन लिया गया और स्कूल के चयनित स्थान को बदलने का आधार क्या है।

विधानसभा नियुक्ति मामले में कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट के जस्टिस जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षतावाली खंडपीठ में मंगलवार को विधानसभा नियुक्ति मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस पर विस्तृत बिंदुवार और अधिकतम जानकारी 20 मार्च से पूर्व राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी। अदालत ने यह जानना चाहा कि जब मामले में एक कमिश्नर जांच रिपोर्ट दी तो राज्यपाल ने कार्रवाई के लिए स्पीकर को निर्देशित किया तब फिर दूसरी जांच कमेटी क्यों बनायी।

गया। किस प्रोविजन में बनाया गया । उस जांच रिपोर्ट को कैबिनेट में क्यों पेश किया गया किस नियम के तहत यह किया गया है। इस पर विस्तृत बिंदुवार और अधिकतम जानकारी राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है।

बता दें कि वर्ष 2005 से 2007 के बीच झारखंड विधानसभा में नियुक्ति हुई थी। उस नियुक्ति में गड़बड़ी की बात सामने आई थी उसके बाद इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। उन्होंने जांच कर जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दिया था उसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को इस पर एक्शन लेने के लिए निर्देश दिया था। लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हो सकी कार्रवाई नहीं होने के बाद याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है।

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