रिम्स की प्रशासनिक अक्षमता का जिम्मेदार कौन, स्वास्थ्य विभाग पर सवाल
रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा है कि रिम्स का प्रशासनिक ढांचा लंगड़ा, कमजोर व अक्षम है, जो प्रभावी प्रशासन के लिए अनुकूल नहीं है। वर्षों से अनुरोध के बावजूद पदों का सृजन नहीं हुआ।
रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा है कि रिम्स का प्रशासनिक ढांचा लंगड़ा, कमजोर व अक्षम है, जो प्रभावी प्रशासन के लिए अनुकूल नहीं है। इस अक्षमता के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ रिम्स शासी परिषद के अध्यक्ष सह स्वास्थ्य मंत्री भी जिम्मेवार हैं। वर्षों से अनुरोध के बावजूद पदों का सृजन नहीं हुआ। एम्स में जहां 13 प्रशासनिक अधिकारी व 22 कार्यालय अधीक्षक कार्यरत हैं, रिम्स में एक-एक हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के बिना भर्ती, पेंशन, पदोन्नति, गोपनीय प्रतिवेदन, भंडारों के सत्यापन में बाधाएं आती हैं। एक भी स्टोर अफसर का पद नहीं है। आज तक किसी प्रकोष्ठ का गठन नहीं हुआ है।
रिम्स में बेडों की क्षमता के मुकाबले कम हैं कर्मी
एम्स की तुलना में रिम्स में बेडों की क्षमता तो लगभग समान है, लेकिन कर्मियों की संख्या एक चौथाई से भी कम। एम्स की तुलना में रिम्स में विभाग की ओर से पांच गुना पत्र भेजे जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्री की ओर से कई गुना अधिक पत्र (पीत पत्र सहित) भेजे जाते हैं। यह अधिक कार्यभार डालता है। पीपीपी मोड पर स्थापित दो प्रयोगशालाओं के बिल बड़ी संख्या में होते हैं, जिसमें विवरण में कमी होती है। इन बिलों का सत्यापन रिम्स पर बोझ डालता है। रिम्स निदेशक ने स्वास्थ्य मंत्री को रिम्स के लचर व्यवस्था के लिए जिम्मेवार 13 कारणों को बताया है।
जीबी में पास होने के बाद भी पदों का सृजन नहीं
जीबी में पास होने के बाद भी पदों का सृजन नहीं निदेशक बोले, स्थायी वित्त एवं लेखा समिति की 10 दिसंबर 2020 को हुई बैठक में प्रशासनिक पद सृजित करने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। शासी निकाय की 28 जनवरी 2021 की बैठक में पद सृजन का औचित्य पेश करते हुए जीबी ने पास भी कर दिया। पदों में वेतनमान जोड़कर तीन मार्च 2021 को स्वास्थ्य विभाग को अग्रेषित किया गया। निदेशक ने कहा, इन पदों के सृजन के लिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से स्वास्थ्य मंत्री समेत संबंधित अधिकारियों से कई बार मिलकर अनुरोध किया था। कहा, आपके रिम्स आगमन पर मैंने रिम्स बनाम एम्स, नई दिल्ली में पदों की संख्या की तुलना प्रस्तुत की, आपने पीजीआई चंडीगढ़ और जेआईपीएमईआर, पुडुचेरी के साथ तुलना को भी जोड़ने के लिए कहा, जो किया गया था। तुलनात्मक सूची आपको प्रस्तुत की गई। सभी अधिकारियों को बार-बार प्रस्तुत की गई है।
रिम्स में प्रशासनिक अमले की कमी के कारण भर्ती प्रकोष्ठ, संकाय (प्रबंधन) प्रकोष्ठ, पेंशन प्रकोष्ठ, स्थापना प्रकोष्ठ, सम्पदा प्रकोष्ठ, अधिप्राप्ति प्रकोष्ठ, कम्प्यूटर सुविधा प्रकोष्ठ आदि नहीं है। इन प्रकोष्ठों के बिना रिम्स में कुशल और प्रभावी प्रशासन स्थापित करने की कोई संभावना नहीं है। यहां एक भी स्टोर ऑफिसर का पद नहीं है, जिसपर ‘डिप्लोमा इन मैटेरियल मैनेजमेंट’ वाले व्यक्ति नियुक्त हो सके। अस्पताल प्रबंधन/प्रशासन विभाग मौजूद नहीं है।
रिम्स की बदहाली पर स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा
दो साल पहले शासी निकाय के अनुमोदन के पश्चात फैकल्टी एवं 4 सीनियर रेजीडेंट के छह पदों के साथ अस्पताल प्रबंधन विभाग सृजित करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया, जो अधर में है। फुल टाईम एडिशनल डायरेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन या डिप्टी डायरेक्टर भी नहीं हैं। सभी एलडीसी अनुकंपा आधारित है। रिम्स में 200 से ज्यादा कोर्ट केस हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि शासी निकाय से पास होने के बाद पद सृजन में कहां क्या बाधा आ रही है, इसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता सकूंगा। निदेशक ने प्रशासनिक परेशानियों के बारे में जो भी बिंदु बताए हैं, उसका अध्ययन करके ही कुछ बताया जा सकता है।