रिम्स में पीजी की दर्जनों सीटों पर मंडराया खतरा, प्रबंधन की अनदेखी से हुआ यह हाल
रिम्स का अर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में एकमात्र चिकित्सक बचे हैं। यहां पीजी की छह सीटे हैं, जिसमें से चार पर खतरा है। पैथोलॉजी में अभी 18 सीटों पर दाखिला होता है। मार्च के बाद महज दो फैकल्टी रह जाएंगे।
प्रबंधन की अनदेखी से रिम्स के कई विभागों में पीजी की दर्जनों सीटों पर खतरा मंडरा रहा है। मार्च तक यदि फैकल्टी की नियुक्ति नहीं हुई तो नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) कई विभागों में पीजी की सीटों की संख्या घटाकर पूर्व से स्वीकृत सीटों पर दाखिले पर रोक लगा सकता है।
रिम्स के ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में एकमात्र चिकित्सक
रिम्स का अर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में एकमात्र चिकित्सक बचे हैं। यहां पीजी की छह सीटे हैं, जिसमें से चार पर खतरा है। पैथोलॉजी में अभी 18 सीटों पर दाखिला होता है। मार्च के बाद महज दो फैकल्टी रह जाएंगे। डिपार्टमेंट के इकलौते प्रोफेसर डॉ एके श्रीवास्तव और एसोसिएट डॉ आरके सिंह 21 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यानी यहां बमुश्किल 4 सीटें बच पाएंगी, 14 सीटों पर संकट मंडरा रहा है।
रेडियोलॉजी में भी एसोसिएट प्रोफेसर सेवानिवृत्ति की कगार पर
रेडियोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पारस राम भी रिटायर होने वाले हैं। उनके बाद विभाग में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट और दो असिस्टेंट प्रोफेसर रह जाएंगे। यहां पीजी की छह सीटें हैं, जिसमें दो पर संकट है। आंख विभाग में एकमात्र प्रोफेसर हैं। वे भी रिटायर होंगे। विभाग में तीन एसोसिएट रह जाएंगे, जबकि सीटें 8 हैं। यानी वहां भी दो सीटों पर खतरा है। ऐसे कई विभाग हैं, जहां की पीजी सीटों पर खतरा मंडरा रहा है। अविलंब वरीय पदों पर नियुक्ति नहीं की गयी तो लगभग दो दर्जन पीजी की सीटों पर खतरा है। स्थिति बदतर होने के बावजूद वरीय पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है। दो माह पूर्व कुछ पदों पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार तो हुआ पर रिजल्ट नहीं निकाला गया।
जबकि हाल के महीनों में मेडिसिन से तीन प्रोफेसर, एक एसोसिएट रिटायर कर चुके हैं। इसी माह डॉ एसके सिंह भी रिटायर हो जाएंगे। सर्जरी में भी इस साल चार फैकल्टी रिटायर करने वाले हैं।
अप्रैल में हो सकता है नेशनल मेडिकल काउंसिल का इंस्पेक्शन
रिम्स के चिकित्सकों के अनुसार, सबकुछ ठीक रहा तो मार्च या अप्रैल में नेशनल मेडिकल काउंसिल का इंस्पेक्शन हो सकता है। ऐसे में यदि फैकल्टी की स्थिति नहीं सुधारी गयी तो कई विभागों में पीजी सीटें घटा दी जाएंगी। यही नहीं, एक बार यदि सीटें घट गयी तो उसे दोबारा बढ़ाने में मशक्कत करनी पड़ेगी। बताया कि ईएनटी में एक मात्र प्रोफेसर हैं। फॉरेंसिक मेडिसिन में प्रोफेसर डॉ सीएस प्रसाद इस साल अगस्त में रिटायर हो जाएंगे। उसके बाद विभाग में एक एसोसिएट एवं एक असिस्टेंट रह जाएंगे। माइक्रोबायोलॉजी में भी एक प्रोफेसर समेत तीन फैकल्टी हैं। रिम्स के कई विभागों में स्थिति यह है कि वहां यूनिट बनाने के लिए भी फैकल्टी नहीं हैं। ऐसे में यदि बहाली नहीं की गयी तो पीजी की दर्जनों सीटों पर दाखिले पर रोक लगा सकता है।