झारखंड की सेहत पर भारी पड़ रहा स्वास्थ्य मंत्री का पीत पत्र
मंत्री के पीत पत्र की चर्चा पहले भी होती रही है। ताजा मामला आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निजी अस्पतालों द्वारा की जा रही धांधली से जुड़ा है। इसे लेकर हंगामा हो गया।
रिम्स के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. कामेश्वर प्रसाद, मंत्री के पीत पत्र से परेशानी की बात कह चुके हैं। बीते दिनों रिम्स में मरीजों के भोजन की व्यवस्था संभाल रही कंपनी का टेंडर 8 जुलाई को समाप्त होने के बाद बिना टेंडर एक्सटेंशन देने के लिए भी मंत्री ने प्रबंधन को पीत पत्र लिखा था। स्वास्थ्य मंत्री के पीत पत्र की चर्चा पहले भी होती रही है। लेकिन ताजा मामला आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के कैटैक्ट सर्जरी (मोतियाबिंद ऑपरेशन) में की जा रही धांधली से जुड़ा है। आयुष्मान योजना के तहत सूबे में बड़े पैमाने पर कैट्रैक्ट सर्जरी में धांधली का खुलासा हुआ है। धांधली रोकने के लिए 13 जून को झारखंड स्टेट आरोग्य सोसायटी (जसास) ने एक आदेश में मरीजों के हित में किसी भी डेकेयर प्रोसिजर के लिए 24 घंटे तक भर्ती करने, सर्जरी के बाद मरीजों का फॉलोअप करने एवं उपचार कराए गए मरीजों की रैंडम एग्जामिनेशन सदर अस्पताल के विशेषज्ञ से कराने के साथ ही निजी अस्पताल में कैट्रैक्ट सर्जरी के लिए किसी सरकारी अस्पताल से रेफर कराना अनिवार्य कर दिया गया था। इस आदेश के बाद निजी अस्पतालों में खलबली मच गयी।
एनजीओ और संस्थानों को पीत पत्र से आपत्ति
कुछ एनजीओ एवं संस्थानों ने तो इन प्रावधानों पर तो आपत्ति दर्ज की ही। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बीते 03 जुलाई को इस बाबत एक पीत पत्र जसास को जारी कर दिया। पीत पत्र का असर यह हुआ कि 24 जुलाई को जसास के द्वारा एक कमेटी गठित कर दूसरे दिन उन सभी प्रावधानों को हटाने की अनुशंसा कर दी गयी। कमेटी की रिपोर्ट पर 28 जुलाई को जसास ने नया आदेश जारी कर दिया। आदेश में 24 घंटे भर्ती के प्रावधान के साथ ही निजी अस्पतालों में सर्जरी के लिए किसी सरकारी अस्पताल द्वारा रेफर किए जाने के प्रावधान को जहां विलोपित कर दिया गया है। पुराने आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि आंख के वैसे अस्पताल जो 3 वर्ष से क्लिनिकल स्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत निबंधित हैं, उनको आयुष्मान के तहत सूचीबद्ध किया जाएगा। लेकिन नए आदेश में 3 वर्ष की अवधि हटा दी गयी।
एक दिन में कमेटी ने दे दी रिपोर्ट
जसास के अपर कार्यकारी निदेशक द्वारा शुक्रवार को जारी आदेश में कहा गया है कि संस्थानों की आपत्ति एवं मंत्री द्वारा 3 जुलाई को जारी पीत पत्र के बाद 24 जुलाई को खुद अपर कार्यकारी निदेशक की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय कमेटी गठित की गयी। कमेटी में अंधापन नियंत्रण के नोडर अफसर सह निदेशक प्रमुख, सिविल सर्जन, रांची एवं नेत्र विशेषज्ञ डॉ वत्सल लाल बतौर सदस्य शामिल थे। कड़ाई के प्रावधानों को हटाने की जल्दबाजी का अंदाजा इससे सहज ही लगाया जा सकता है कि जसास कार्यालय से 24 जुलाई को कमेटी गठन का आदेश जारी किया गया और 25 जुलाई को जसास कार्यालय में कमेटी का प्रतिवेदन भी समर्पित हो गया। बता दें कि आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों को एक कैट्रेक्ट सर्जरी के लिए फेको विधि के लिए लगभग 7800 एवं एसआईसीएस पर लगभग 5400 रुपए मिलते हैं। विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर इसमें गड़बड़ी सामने आयी है।
1 लाख कैट्रैक्ट सर्जरी का दावा किया गया
2021-22 में राज्य में आयुष्मान योजना के तहत लगभग एक लाख कैट्रैक्ट सर्जरी के दावे किए गए। जिसमें महज लगभग 1000 सरकारी अस्पतालों में हुए थे। जबकि कोरोना की वजह से 2021 में अप्रैल से अगस्त तक निजी अस्पतालों में सर्जरी बंद थी। निजी अस्पतालों ने महज सात आठ माह में यह कीर्तिमान गढ़ दिया था। इन्हीं कारनामों पर लगाम लगाने के लिए जसास ने ये प्रावधान किए थे।
जसास ने क्यों किए थे ऐसे प्रावधान
बता दें कि आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों को एक कैट्रेक्ट सर्जरी के लिए फेको विधि के लिए लगभग 7800 एवं एसआईसीएस पर लगभग 5400 रुपए मिलते हैं। विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर इसमें गड़बड़ी सामने आयी है। और तो और 2021-22 में राज्य में आयुष्मान योजना के तहत लगभग एक लाख कैट्रैक्ट सर्जरी के दावे किए गए। जिसमें महज लगभग 1000 सरकारी अस्पतालों में हुए थे। जबकि कोरोना की वजह से 2021 में अप्रैल से अगस्त तक निजी अस्पतालों में सर्जरी बंद थी। निजी अस्पतालों ने महज सात आठ माह में यह कीर्तिमान गढ़ दिया था। इन्हीं कारनामों पर लगाम लगाने के लिए जसास ने ये प्रावधान किए थे।