Hindi Newsझारखंड न्यूज़Allotment of Hostel to BDS students has been started in RIMS Ranchi

रिम्स में BDS छात्रों को हॉस्टल आवंटित, बढ़ी फीस; इस बात का अब भी विरोध

रिम्स में मारपीट की घटना के बाद सोमवार से हॉस्टल आवंटन शुरू कर दिया गया। 2019 बैच के बीडीएस छात्रों को हॉस्टल आवंटित किया गया। छात्रों से शपथ पत्र जमा कराने के बाद ही हॉस्टल में कमरे दिए गए।

Suraj Thakur संवाददाता, रांचीTue, 8 Aug 2023 07:19 AM
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रिम्स में मारपीट की घटना के बाद सोमवार से हॉस्टल आवंटन शुरू कर दिया गया। 2019 बैच के बीडीएस छात्रों को हॉस्टल आवंटित किया गया। छात्रों से शपथ पत्र जमा कराने के बाद ही हॉस्टल में कमरे दिए गए। इस साल एक बैच के छात्रों को एक हॉस्टल आवंटित किया जाना है। जबकि इससे पहले सभी बैच के छात्रों को मिलाकर हॉस्टल में रखा जाता था।

कुछ छात्रों को अभी भी हॉस्टल से बाहर रहना होगा
जानकारी हो कि मारपीट की घटना में शामिल छात्रों को पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था। इसमें 2020 बैच के छात्र अपने माता-पिता के साथ नहीं पहुंचे थे। उन्हें फिर से समय दिया गया है। वहीं, 2022 बैच के छात्रों का पक्ष जाना गया और उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। वहीं, एकेडमिक कमेटी ने एक छात्र को एक महीने के लिए क्लासेस से सस्पेंड करने का निर्णय लिया गया है। इधर, प्रबंधन ने कहा कि हॉस्टल कमेटी का निर्णय अलग से माना जाएगा। इसमें मुख्य आरोपी छात्रों को हॉस्टल से बाहर रखने का भी निर्णय लिया जा सकता है।

रांची की छात्राओं को हॉस्टल नहीं देने का निर्णय 
बीडीएस की छात्राओं ने बताया कि उन्होंने शपथ पत्र नहीं भरा है। प्रबंधन अपने हिसाब से निर्णय ले रहा है। रांची जिला की छात्राओं को हॉस्टल नहीं देने की बात कही जा रही है। उनका कहना है कि वे सभी रिम्स के आसपास नहीं रहती हैं। ऐसे में प्रबंधन का यह निर्णय गलत है। साथ ही कहा कि फाइनल ईयर की छात्राओं को सिंगल रूम दिया जाता है, पर उन्हें डबल बेड रूम में ही रहने को कहा जा रहा है। बीडीएस और एमबीबीएस छात्राओं के लिए अलग-अलग नियम। हमारे साथ भेदभाव हो रहा है।

3 हजार रुपये लिए जाते हैं हॉस्टल फीस के रूप में
एमबीबीएस और बीडीएस छात्रों से हॉस्टल के लिए पहले 3 हजार रुपए लिये जाते थे। अब इस साल से दोगुना फीस ली जा रही है। वहीं, पीजी छात्रों से तीन साल के लिए कुल 36,000 रुपए लिए जाएंगे। छात्रों से पहले फीस ली जाएगी, फिर हॉस्टल फीस भरने को कहा गया है। प्रबंधन का कहना है कि अभिभावक पर अधिक बोझ न पड़े इसका भी ख्याल रखा गया है। इंटर्नशिप के समय से स्टाइपेंड मिलने लगता है, इसलिए पीजी छात्रों पर बोझ नहीं पड़ेगा।

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