झारखंड के सबसे बड़े हॉस्पिटल में गलकर बह गए 24 शव, प्रबंधन को नहीं लगी भनक!
सालाना करीब 400 करोड़ के बजट वाले रिम्स में मानवीय संवेदना पूरी तरह खत्म हो गई है। करीब पांच-छह महीने से रिम्स के शवगृह का कूलिंग कंपार्टमेंट फ्रीजर खराब है। फ्रीजर के खराब होने से 24 शव सड़ गए।
सालाना करीब 400 करोड़ के बजट वाले रिम्स में मानवीय संवेदना पूरी तरह खत्म हो गई है। करीब पांच-छह महीने से रिम्स के शवगृह का कूलिंग कंपार्टमेंट फ्रीजर खराब है। तीन साल पहले ही बनकर तैयार हुई नई मॉर्चरी में 50 शवों को रखने की सुविधा है। फ्रीजर के खराब हो जाने के कारण करीब 24 शव सड़ गए हैं।
शवों का काफी हिस्सा गलकर बह गया
शवों की स्थिति ऐसी है कि उसका कुछ हिस्सा डिकंपोज होकर बह गया है। शवों की पहचान कर पाना मुश्किल हो गया है। शवगृह के अंदर की स्थिति ऐसी है कि देखकर मानवता शर्मसार हो जाए। बता दें कि रिम्स प्रबंधन के पास मॉर्चरी में फ्रीजर खराब होने की सूचना कई दिनों से है। इसके बाद भी इसे ठीक कराने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई है।
50 में से केवल 2 कंपार्टमेंट ही थे वर्किंग
लाशों के सम्मानजनक डिकंपोजिशन के लिए लड़ रहे समाजिक कार्यकर्ता विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा रिम्स के मॉर्चरी को देखने पहुंचे थे। उपाधीक्षक की अनुमति के बाद वे मॉर्चरी पहुंचे। उन्होंने बताया कि जब मॉर्चरी खुली तो वे स्थिति को देखकर दंग रह गए। 50 में से सिर्फ 37 और 38 नंबर कंपार्टमेंट ही काम कर रहा है। वहीं 24 शव सड़कर बह गए हैं। ऐसा लगा जैसे रिम्स प्रबंधन की मानवीय संवेदना खत्म हो गई है। वहीं 24 शव सड़कर बह गए हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। रिम्स प्रबंधन को इसकी फिक्र करनी चाहिए।
रिम्स प्रबंधन को 1 साल से है इसकी जानकारी
रिम्स प्रबंधन के पास शवगृह में हो रही परेशानी और फ्रीजर के खराब होने की सूचना तो करीब एक साल से है। रिम्स के शवगृह की ऐसी स्थिति इसलिए है कि इसकी रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए अब तक किसी को भी जिम्मेवारी नहीं दी गई है। रिम्स ने इसके लिए अबतक कोई एजेंसी का चयन नहीं किया है। वहीं, रिम्स प्रबंधन की नींद अब खुली है। अधीक्षक ने कहा कि इसकी रेपयरिंग और मेटेनेंस के लिए निविदा निकाली जाएगी। जल्द ही एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा।