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बिहार मॉडल पर प्रीमियर सर्विस नहीं है स्वीकार : झासा

रांची में झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ (झासा) की विशेष आम सभा हुई, जिसमें सेवा पुनर्गठन, समयबद्ध प्रोन्नति और अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। संघ की अध्यक्ष रंजीता हेंब्रम ने एकता का महत्व बताया और बिहार...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीWed, 18 Sep 2024 04:32 PM
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रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ (झासा) की विशेष आम सभा की बैठक टाना भगत स्टेडियम खेल गांव में आयोजित हुई। बैठक में झारखंड प्रशासनिक सेवा के पुनर्गठन, समयबद्ध प्रोन्नति, झारखंड नॉन एससीएस की उपसमाहर्ता की समतुल्यता समेत अन्य विषयों पर मंथन हुआ। झासा की अध्यक्ष रंजीता हेंब्रम ने कहा कि संघ की शक्ति एकता में ही निहित है, इसलिए बड़ा कैडर होने के चलते स्वाभाविक मतभिन्नता के बावजूद हमें हर परिस्थिति में एकता प्रदर्शित करनी होगी। उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा के पुनर्गठन, समयबद्ध प्रोन्नति, किसी भी पदाधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई को एक वर्ष के अंदर पूर्ण करने जैसे अन्य लंबित विषयों को सरकार के समक्ष मजबूती से रखने के अपने संकल्प को दोहराया। प्रस्तावित राज्य प्रशासनिक सेवा के पुनर्गठन को लेकर सदस्यों के बीच उठ रही शंकाओं को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि बिहार की तर्ज पर झारखंड प्रशासनिक सेवा के पुनर्गठन के मॉडल को झासा स्वीकार्य नहीं करेगा। बैठक में जिलों की कार्यकारिणी के सदस्यों ने भी अपने-अपने विचार रखे। पदाधिकारियों ने झारखंड प्रशासनिक सेवा के पुनर्गठन की वकालत तो की किंतु सदस्यों द्वारा यह भी दोहराया गया कि बिहार मॉडल के तर्ज पर सेवा पुनर्गठन न किया जाए, क्योंकि बिहार में राज्य सिविल सेवा को प्रीमियर सेवा बनाने के बाद वहां जो समस्याएं आईं उन्हें देखते हुये झारखंड के पदाधिकारी उस माडल से सशंकित हैं।

सेवा पुनर्गठन के ड्राफ्ट पर लिया जाए मंतव्य

झासा के सदस्यों ने कहा कि सरकार यदि झारखंड प्रशासनिक सेवा के पुनर्गठन की सोच रही है तो यह बहुत ही सकारात्मक बात है, लेकिन झाप्रसे पुनर्गठन प्रस्ताव का जो ड्राफ्ट है उसे सार्वजनिक करते हुए झाप्रसे के पदाधिकारियों से मंतव्य लेना चाहिए। झाप्रसे कैडर के हित-अनहित पर सम्यक विमर्श उपरांत ही प्रीमियर सेवा को अंतिम स्वरूप दिया जाना चाहिए। गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों के भारतीय प्रशासनिक सेवा में इंडक्शन को लेकर निर्धारित अधिकतम 15% की सीमा को ही नियमित कोटा मान लेने की चल रही परंपरा का सर्वसम्मति से विरोध किया गया। पिछले दिनों झारखंड के गैर प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों के उपसमाहर्ता की समतुल्यता के संबंध में सरकार द्वारा जो निर्णय लिया गया उसको लेकर भी संघ ने नाराजगी जतायी।

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