हारते-हारते जीत गईं ममता; जीतते-जीतते हार गईं सुनीता, रामगढ़ सीट पर कैसे बदला गेम
- झारखंड की रामगढ़ विधानसभा सीट का परिणाम काफी दिलचस्प रहा। कांग्रेस की ममता देवी ने आखिरी समय में जीत दर्ज की। शुरुआती राउंड में ममता देवी सुनीता से काफी पीछे चल रही थीं।
रामगढ़ विस चुनाव में एक तरफ कांग्रेस उम्मीदवार ममता देवी को हारते-हारते अंतिम में जीत का स्वाद मिल गया, वहीं आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी जीतते-जीतते अंतिम में हार का मुंह का देख ली। महज एक घंटे में माहौल ऐसा बदला कि एक खेमे में मायूसी दूसरे में जोश भर गया। सुबह आठ बजे मतगणना शुरू होने के साथ ही आजसू की सुनीता चौधरी कांग्रेस की ममता देवी पर भारी देखने लगी। पहले, दूसरे, तीसरे राउंड होते हुए 12 राउंड तक की गिनती में सुनीता चौधरी करीब 12 हजार मतों से ममता देवी से आगे चल रही थी।
आजसू कार्यकर्ताओं ने मान लिया कि अब चुनाव में सुनीता चौधरी की जीत पक्की हो गई। आधे से अधिक राउंड में बढ़त के बाद आजसू समर्थक सुनीता चौधरी और आजसू पार्टी के जीत का जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर दिए, लेकिन 12वें राउंड के बाद स्थितियां बदलना शुरू हो गई। आगे के हर राउंड में बढ़त का दायरा सिमटता चला गया। जो बढ़त 10 हजार पार था, वह 16 राउंड आते-आते महज 2-3 हजार तक पहुंच गया। यहीं से ममता देवी के जीत की पटकथा शुरू हुई। 17वें राउंड के बाद जिन क्षेत्र के मतों की गिनती हो रही थी। वह ममता देवी और प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गृह क्षेत्र गोला था।
घर वाले मतदाताओं ने भी ममता और प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का खूब साथ दिया। 20वें राउंड में बढ़त करीब दो हजार की रही, लेकिन यह मान लिया गया कि अंतिम में खुलने वाला इवीएम गोला के पूर्वी छोर का होगा। लोगों ने भी अपने नेता का निराश नहीं होने दिया और अंतत हारते-हारते ममता देवी जीत गई, दूसरी तरफ जीतते-जीतते सुनीता देवी हार गई।
इलाके की समस्याओं को लेकर लगातार रहीं मुखर
विधायक रहते हुए और विधायकी जाने के बाद भी ममता लोगों से हमेशा जुड़कर रहीं। लोगों से मिलना, उनकी समस्याएं सुनने और उसे दूर करने का प्रयास उन्हें सभी के बीच लोकप्रिय बनाकर रखा, जिसका फायदा उन्हें इस चुनाव में मिला। सहज उपलब्ध ममता देवी उनकी लोकप्रियता का कारण है। पिछली बार विधायक बनने के बाद सरकार में उनके मंत्री बनने को लेकर काफी चर्चाएं होती रही।