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JMM-कांग्रेस के चलते मुश्किल स्थिति; झारखंड में 'इंडिया' के घटक दल ने आरोप लगा दे दिया अल्टीमेटम

  • झारखंड विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर बनते पेच के साथ ही भाकपा-माले ने अपने बड़े सहयोगी दलों झामुमो और कांग्रेस पर इंडिया गठबंधन को क्रिटिकल स्थिति में पहुंचाने का आरोप लगाया है।

Devesh Mishra हिन्दुस्तान, रांचीSun, 27 Oct 2024 07:04 AM
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झारखंड विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर बनते पेच के साथ ही भाकपा-माले ने अपने बड़े सहयोगी दलों झामुमो और कांग्रेस पर इंडिया गठबंधन को क्रिटिकल स्थिति में पहुंचाने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि दोनों दलों ने 70 सीटें आपस में बांटने की जो घोषणा की, उसी के कारण गठबंधन में विवाद की स्थिति बन गई है। यह घोषणा पूरी तरह से एकतरफा थी।

लक्ष्य से भटका इंडिया गठबंधन: भाकपा-माले

माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि आज इंडिया गठबंधन अपने लक्ष्य से पूरी तरह से भटक गया है। धनवार के बाद विश्रामपुर सीट पर भी इसी तरह की स्थिति बनी है। समय रहते इस विवाद को आपसी संवाद के जरिए सुलझा लिया जाना चाहिए। ताकि चुनाव में भाजपा को कोई लाभ नहीं मिल सके। वे शनिवार को पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुवेंदु सेन भी उपस्थित थे।

रविवार शाम तक का अल्टीमेटम, फिर दूसरी लिस्ट जारी करेगा माले

भाकपा-माले ने गठबंधन के सबसे बड़े दल इंडिया गठबंधन को रविवार शाम तक का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि आपसी संवाद के साथ विवाद को सभी सुलझा लें। इसके साथ ही उन्होंने झामुमो से धनवार सीट पर घोषित अपने उम्मीदवार को हटाने पर भी विचार करने को कहा है। ऐसा नहीं होने पर माले पूर्व में घोषित तीन सीटों के अलावा प्रत्याशी की दूसरी लिस्ट भी जारी कर देगा। उन्होंने कहा कि जमुआ और बगोदर सीट पर पार्टी काफी मजबूत है। बता दें कि माले ने सिंदरी, निरसा और धनवार सीट पर प्रत्याशी की घोषणा पहले ही कर दिया है।

जमुआ पर माले मजबूत, लेकिन भाजपा के बागी को उतार दिया: माले

उन्होंने कहा कि झामुमो से पहले ही माले ने धनवार सीट पर प्रत्याशी की घोषणा की थी, लेकिन झामुमो ने फिर भी उम्मीदवार उतार दिया। इसी तरह कांग्रेसी नेता मंजू देवी के भाजपा में जाने के बाद जमुआ सीट पर भाकपा-माले सबसे ज्यादा मजबूत था, लेकिन भाजपा से बागी होकर झामुमो में आए केदार हाजरा को टिकट दे दिया। झामुमो को समझना चाहिए कि केदार हाजरा को आखिर भाजपा टिकट क्यों नहीं देना चाहती थी।

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