सेवानिवृत्त बुजुर्गों संग परिवार में हो रहे बर्ताव पर काव्य गोष्ठी
चंद्रपुरा के डीवीसी गेस्ट हाउस में जनवादी लेखक संघ ने एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान पूर्व बैंक अधिकारी विश्वजीत विश्वकिरण के उपन्यास 'पेंशन' पर चर्चा की गई। साहित्य के माध्यम से परिवार में...
चंद्रपुरा, प्रतिनिधि। चंद्रपुरा के डीवीसी गेस्ट हाउस में जनवादी लेखक संघ के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। पूर्व बैंक अधिकारी विश्वजीत विश्वकिरण द्वारा लिखित उपन्यास पेंशन की इसमें खूब चर्चा की गई। साहित्य के प्रति रूचि पैदा करने तथा परिवार को हर तरह से संस्कारी बनाने पर जोर दिया गया। साहित्य के साथ-साथ इसमें कविता पाठ भी हुआ। रिमझिम बारिश के बीच आयोजित इस साहित्यिक गोष्ठी में सभी ने आज के समाज में सेवानिवृत्त बुजुर्गों के साथ परिवार में हो रहे बर्ताव पर विस्तार से प्रकाश डाला। विश्वजीत ने कहा कि बैंक की नौकरी के दौरान पाया कि कई लोग ऐसे हैं जिनको पेंशन तो मिलती है पर वे उसका उपयोग नहीं कर पाते। बेटे-बहू सभी पेंशन पर अपना अधिकार जमाते है। पेंशन पाने के बावजूद पेंशनधारी की स्थिति खराब रहती है। आज का यह ज्वलंत मुद्दा है। डीवीसी के पूर्व राजभाषा अधिकारी डा दयानंद प्रसाद बटोही और कावेरी ने अपने व्यक्तिगत जीवन और पेंशन उपन्यास पर कहा कि यह सीधे तौर पर दिल को छू जाता है। और समाज व परिवार की वर्तमान परिवेश को दर्शाता है। आज समाज और परिवार का व्यवहार किधर जा रहा है, इस पर साहित्य के माध्यम से बताने की जरूरत है। पेंशन कल्पना पर नहीं बल्कि यर्थात पर आधारित है। डीवीसी के सेवानिवृत्त शिक्षक गंगाराम भंडारी ने कहा कि आज के समय में बेटा-बहू को संस्कार देना बहुत जरूरी है। गोष्ठी में डा अरूण कुमार, अजय यतीश, प्रह्लाद चंद दास, हुबलाल राम, भीम महतो, दिलीप कुमार, रमेश रजक, महेंद्र कुमार, इस्लाम अंसारी, गोपाल महतो आदि ने अपने विचार दिए।
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