Hindi Newsझारखंड न्यूज़adalaten fool nahi jo murjha jaen supreme court comment on bjp mp nishikant dubey

अदालतें फूल नहीं जो मुरझा जाएं, BJP सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पड़ी

बीते दिनों भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उन्हें फटकार लगाई है।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, रांचीFri, 9 May 2025 06:36 AM
share Share
Follow Us on
अदालतें फूल नहीं जो मुरझा जाएं, BJP सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पड़ी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अदालतें फूलों की तरह नाजुक नहीं है जो बेतुके बयानों से मुरझा जाए। अदालत भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा अदालत और मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों की निंदा करते हुए यह कड़ी टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा भाजपा सांसद की टिप्पणियां दुर्भावनापूर्ण हैं और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कम करती हैं। पीठ ने कहा कि हमारा यह दृढ़ मत है कि अदालतें फूलों की तरह नाजुक नहीं हैं जो ऐसे बेतुके बयानों से मुरझा जाएं।

पीठ ने पांच मई को दुबे के खिलाफ उनकी टिप्पणी को लेकर अवमानना कार्रवाई संबंधी याचिका पर सुनवाई की थी और कहा था कि संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई उसने ही की थी। हालांकि पीठ ने याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन गुरुवार को उपलब्ध कराए गए अपने आदेश में उसने भाजपा सांसद के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं।

टिप्पणियां गैर जिम्मेदाराना

पीठ ने कहा कि हमारी राय में, टिप्पणियां बेहद गैरजिम्मेदाराना थीं और सुप्रीम कोर्ट और उसके जज पर आक्षेप लगाकर ध्यान आकर्षित करने की प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। पीठ ने कहा कि इसने कहा कि इन टिप्पणियों के जरिये न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने और बाधा डालने की प्रवृत्ति नजर आती है। अदालत ने कहा कि सांसद की टिप्पणी संवैधानिक अदालतों की भूमिका तथा संविधान के तहत उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में उनकी अज्ञानता को दर्शाती है।

आदेश में कहा गया कि इस तरह के बेतुके बयानों से जनता की नजरों में अदालतों के प्रति विश्वसनीयता कम नहीं हो सकती और बिना किसी संदेह के कहा जा सकता है कि ऐसा प्रयास जानबूझकर किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिका पर सुनवाई नहीं की लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि ‘सांप्रदायिक घृणा फैलाने’ या घृणास्पद भाषण देने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

अगला लेखऐप पर पढ़ें