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बांग्लादेश की गीदड़भभकी, शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत रहा चुप तो उठाएंगे कड़ा कदम

बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने इस बात को स्वीकार किया कि बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि में जवाब देने के लिए कोई समय-सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तानWed, 25 Dec 2024 05:15 PM
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पड़ोसी देश बांग्लादेश अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के अपने अनुरोध का नई दिल्ली से जवाब मिलने का इंतजार कर रहा है लेकिन भारत ने इस संबंध में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस संबंध में भारत से जवाब मिलने का इंतजार किया जा रहा है और अगर नई दिल्ली की तरफ से कोई जवाब नहीं मिलता है तो कड़ा कदम उठाते हुए 'नोट ऑफ अर्जेन्सी' जारी किया जाएगा।

हालांकि, बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने इस बात को स्वीकार किया कि बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि में जवाब देने के लिए कोई समय-सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यदि भारत उचित समय अवधि के भीतर जवाब नहीं देता है तो ढाका अगला कदम उठाने के लिए तैयार है।

एक प्रेस वार्ता के दौरान, बांग्लादेश विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने कहा, “सोमवार को राजनयिक नोट भेजा गया था। जहां तक ​​मुझे पता है, सरकारी चैनल में भारत की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। हम अभी इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। बल्कि, हम भारत के जवाब का इंतजार करेंगे। हमारी अगली कार्रवाई उस जवाब के आधार पर तय की जाएगी।”

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उन्होंने आगे कहा, "जहां तक ​​मुझे याद है, प्रत्यर्पण संधि में कोई समय सीमा नहीं है। इसलिए हमें भारत सरकार के जवाब का इंतजार करना होगा। हम एक निश्चित समय तक इंतजार करेंगे। किसी भी चीज का जवाब देने का एक स्वाभाविक समय होता है। अगर हमें उस समय के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है, तो हम तात्कालिकता पत्र (नोट ऑफ अर्जेन्सी) भेजेंगे। हम उन्हें बता देंगे कि हम इस संबंध में जवाब की उम्मीद कर रहे हैं। नोट दो दिन पहले ही दिया गया है। इसलिए अभी अगले कदम के बारे में बात करना मुश्किल है।”

इस बीच, अंतरिम सरकार के प्रमुख सहयोगी महफूज आलम की टिप्पणी पर भारत में हो रहे कड़े विरोध पर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के उप प्रेस सचिव अपूर्वा जहांगीर ने कहा कि महफूज द्वारा फेसबुक पोस्ट पूरी तरह से उनकी निजी राय थी। महफूज आलम ने एक पोस्ट में कहा था कि कुछ भारतीय क्षेत्रों को बांग्लादेश का हिस्सा होना चाहिए औऱ भारत को उस विद्रोह को मान्यता देनी चाहिए जिसने हसीना को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था। बाद में उस पोस्ट को हटा दिया गया। अपूर्वा जहांगीर ने कहा कि उन्होंने बाद में एक स्पष्टीकरण पोस्ट किया है। साथ ही ये भी कहा कि टिप्पणियां सरकार की स्थिति को नहीं दर्शाती हैं।

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