Hindi Newsविदेश न्यूज़Why PM Modi going to Marseille in last phase of France tour what is connection with Savarkar

फ्रांस दौरे के आखिरी चरण में मार्सिले क्यों जा रहे PM मोदी, सावरकर से क्या है कनेक्शन

जब ब्रिटिश हुकूमत ने सावरकर को गिरफ्तार कर लिया था और पेशी के लिए उन्हें भारत ले जा रही थी, तब 8 जुलाई, 1910 को ब्रिटिश जहाज मोरिया से छलांग लगाकर सावरकर ने भागने का साहस किया था।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, शिशिर गुप्ता, नई दिल्लीTue, 11 Feb 2025 06:55 PM
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फ्रांस दौरे के आखिरी चरण में मार्सिले क्यों जा रहे PM मोदी, सावरकर से क्या है कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों के फ्रांस दौरे पर हैं। वह सोमवार को पेरिस पहुंचे थे, जहां भारतीय समुदाय ने उनका भव्य स्वागत किया था। बाद में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी पेरिस के एलिसी पैलेस में आयोजित स्वागत रात्रिभोज में पीएम मोदी का गले लगाकर स्वागत किया। रात्रिभोज में प्रधानमंत्री ने अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस से भी मुलाकात की। वेंस भी एआई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए फ्रांस में हैं।

आज पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ एआई शिखर सम्मेलन में भाग लिया और ‘एआई एक्शन समिट’ की सह-अध्यक्षता की। उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता का भी कार्यक्रम है। अपनी यात्रा की तीसरे और आखिरी दिन बुधवार को प्रधानमंत्री मार्सिले का दौरा करेंगे, जहां वह प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। इस दौरान पीएम मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मजारग्यूस युद्ध कब्रिस्तान भी जाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी और मैक्रों मार्सिले में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन भी करेंगे। दरअसल, पीएम मोदी की मार्सिले यात्रा पेरिस के बाहर प्रमुख सहयोगियों के साथ राजनयिक शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए भी डिजायन की गई है, ठीक उसी तरह जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल जयपुर गए थे। हालांकि, इस बंदरगाह शहर का भारत के स्वतंत्रता संग्राम से गहरा नाता है।

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स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर का इस जगह (मार्सिले) से गहरा नाता है। जब ब्रिटिश हुकूमत ने सावरकर को गिरफ्तार कर लिया था और पेशी के लिए उन्हें भारत ले जा रही थी, तब 8 जुलाई, 1910 को ब्रिटिश जहाज मोरिया से छलांग लगाकर सावरकर ने भागने का साहस किया था। हालांकि, बाद में जब वह समंदर से तैरकर किनारे पहुंचे तो उन्हें फ्रेंच अफसरों ने गिरफ्तार कर लिया था। बाद में फ्रांसीसी अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया और जहाज पर ही अंग्रेजों को सौंप दिया था।

हालांकि सावरकर के भागने की कोशिशों ने तब फ्रांस और ब्रिटेन के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दिया था। फ्रांस ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता सेनानी की वापसी “अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” है, क्योंकि उचित प्रत्यर्पण प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था। तब इस मामले को स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय ने 1911 में फैसला सुनाया कि सावरकर की गिरफ्तारी में अनियमितता बरती गई थी, फिर भी ब्रिटेन उन्हें फ्रांस को वापस भेजने के लिए बाध्य नहीं हुआ था।

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