ट्रंप की जीत से दहशत में क्यों खालिस्तान समर्थक? कनाडाई सांसद की निकली हवा, लोगों से कर रहे अपील
- ट्रंप की वापसी के बाद, खालिस्तानी मुद्दे पर कनाडा और अमेरिका के रुख में बदलाव देखने की उम्मीद है। इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी ट्रंप को बधाई देते हुए दोनों देशों के रिश्ते को खास बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर कनाडा में विभिन्न नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। खालिस्तान समर्थक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने इस अवसर पर एकता की अपील की और कहा कि "देश सर्वोपरि है।" जगमीत सिंह के बयान से साफ नजर आ रहा है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक धड़ा डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से बेचैन है।
जगमीत सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “अमेरिकी चुनाव के परिणाम चाहे जो हों, हमें उम्मीद, भय और विभाजन से बेहतर लगती है। हम कल भी कनाडा के लिए खड़े होने के लिए तैयार रहेंगे। यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था, नौकरियों, सीमा, पर्यावरण और लोगों के लिए मजबूती से खड़े होने का समय है। हमें अपने व्यापारिक अधिकारों की सुरक्षा करने और कनाडा की खासियत को संरक्षित करने की जरूरत है। यह एकजुट बने रहने का समय है। देश पहले है।” ट्रंप की वापसी के बाद, खालिस्तानी मुद्दे पर कनाडा और अमेरिका के रुख में बदलाव देखने की उम्मीद है।
इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी ट्रंप को बधाई देते हुए दोनों देशों के रिश्ते को "खास" बताया। ट्रूडो ने ट्वीट में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर डोनाल्ड ट्रंप को बधाई। कनाडा और अमेरिका के बीच की मित्रता दुनिया के लिए मिसाल है। मुझे यकीन है कि राष्ट्रपति ट्रंप और मैं दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा के लिए साथ काम करेंगे।”
खालिस्तानी आंदोलन और हाल ही में कनाडा में हिंदुओं पर हुए हमलों के मद्देनजर, जगमीत सिंह की सतर्क प्रतिक्रिया और ट्रूडो की बधाई चर्चा का विषय है। अब दुनियाभर का ध्यान अमेरिका-कनाडा संबंधों पर है। कनाडाई पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जस्टिन ट्रूडो और जगमीत सिंह का भारत के खिलाफ अभियान अब खत्म हो गया है। जनवरी 20 तक कुछ और बचकानी टिप्पणियां देखने को मिल सकती हैं, लेकिन ट्रंप के पद संभालने के बाद खालिस्तानी मुद्दा व्यवसाय के लिए हानिकारक साबित होगा और यह खत्म हो जाएगा।”
इस बीच, ट्रंप की वापसी ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर काफी दबाव डाला है, जिनके प्रशासन को पहले से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप के नीतिगत एजेंडे के आर्थिक प्रभाव कनाडा के लिए गंभीर हो सकते हैं, जो अपने निर्यात का 75% सीमा के दक्षिण में भेजता है। यह व्यापार निर्भरता कनाडा को अमेरिकी आर्थिक और विदेश नीतियों में बदलाव के प्रति संवेदनशील बनाती है, जिसमें ट्रंप का सभी आयातों पर 10% टैरिफ का प्रस्ताव भी शामिल है। इसने पहले ही कनाडाई अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं को चिंतित कर दिया है।
हालांकि, पर्दे के पीछे, ट्रूडो की सरकार उस दौर के लिए तैयार है, जिसके बारे में कई लोगों का अनुमान है कि यह एक अशांत दौर होगा। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में, ट्रूडो ने कथित तौर पर वरिष्ठ सांसद से कहा था कि ट्रंप का दूसरी बार राष्ट्रपति बनना पहले की तुलना में "बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण" होगा। विश्लेषकों का कहना है कि यह केवल बयानबाजी नहीं है; संभावित व्यापार युद्ध, रक्षा खर्च के बढ़ते दबाव और सीमा पार के मुद्दों के साथ दांव वास्तविक हैं, जो कनाडा के आर्थिक तनाव को बढ़ा सकते हैं।
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