US and China Trade war Xi Jinping found solution against Trump tariffs but Asia becoming new battleground ट्रंप के टैरिफ की जिनपिंग ने ढूंढी काट, पर एशिया बन रहा जंग का नया मैदान; पहले कौन झुकेगा?, International Hindi News - Hindustan
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ट्रंप के टैरिफ की जिनपिंग ने ढूंढी काट, पर एशिया बन रहा जंग का नया मैदान; पहले कौन झुकेगा?

  • दुनिया की दो सबसे बड़ी ताकतें अब सीधे टकराव की राह पर हैं। टैरिफ वॉर की आड़ में अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक दबदबे की जंग छिड़ी है। इसमें बड़ा सवाल यही है कि दोनों में से पहले कौन झुकेगा?

Gaurav Kala बीजिंग/वाशिंगटन, ब्लूमबर्गMon, 14 April 2025 12:12 PM
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ट्रंप के टैरिफ की जिनपिंग ने ढूंढी काट, पर एशिया बन रहा जंग का नया मैदान; पहले कौन झुकेगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ और चीन पर 145 फीसदी शुल्क लगाने के बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध गहरा गया है। ट्रंप के जवाब में चीन भी अमेरिकी उत्पादों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगा चुका है। अब दोनों देशों के बीच गहराते व्यापार युद्ध में एशिया नई जंग का मैदान बन रहा है। ट्रंप के टैरिफ वार के जवाब में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दक्षिण-पूर्व एशिया का रुख किया है। मकसद साफ है, छोटे पड़ोसी देशों को अपने पक्ष में करना और अमेरिका की आर्थिक घेराबंदी को कूटनीतिक चालों से काटना, लेकिन इस रस्साकशी में क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा भी मंडराने लगा है। सबकी नजर इस पर टिकी है कि पहले कौन झुकेगा—ट्रंप या जिनपिंग?

शी जिनपिंग ने साल 2025 की अपनी पहली विदेश यात्रा वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया के लिए की है। इस दौरे का मकसद था चीन की क्षेत्रीय पकड़ को दिखाना, लेकिन ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने इस दौरे का रुख बदल दिया है। ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं, लेकिन बाकी देशों को 90 दिन की राहत दी ताकि वे अमेरिका से समझौता कर सकें।

चीन क्या कर रहा

चीन अब इन दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को यह भरोसा दिला रहा है कि वह अमेरिका से ज्यादा स्थिर और भरोसेमंद साझेदार है। शी ने वियतनामी अखबार Nhan Dan में लिखे एक लेख में कहा, “टैरिफ और व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता।” उन्होंने 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सहयोग की पेशकश की है।

ट्रंप की क्या रणनीति

अमेरिका चाहता है कि वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया चीन को अपने देशों से अमेरिका में माल ट्रांसशिप करने से रोकें। अमेरिकी टैरिफ अगर लागू हुए तो इन देशों पर भारी शुल्क लगेगा — वियतनाम पर 46%, मलेशिया पर 24% और कंबोडिया पर 49%।

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इन देशों की स्थिति कैसी है

ये देश अब दो ताकतों के बीच फंसे हैं। एक तरफ चीन, जो उनका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दूसरी तरफ अमेरिका, जो शुल्क बढ़ाने की धमकी दे रहा है। वियतनाम और मलेशिया जैसे देश कूटनीतिक रूप से संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। कंबोडिया, जो चीन का करीबी है, अभी भी बीजिंग के साथ है और अमेरिका से दूरी बनाए हुए है।

आगे क्या होगा?

चीन इन देशों को बाजार तक अधिक पहुंच देने की बात कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के पास अब बहुत कम टैरिफ कम करने की गुंजाइश है। साथ ही, गंभीर आर्थिक संकट और डिफ्लेशन जैसी घरेलू समस्याओं के चलते चीन की मोलभाव करने की क्षमता भी कमजोर हुई है। दूसरी तरफ, ट्रंप की टैरिफ नीति ने इन देशों के सामने "कठिन विकल्प" रख दिए हैं, चीन के साथ रहो और अमेरिका की नाराज़गी झेलो या अमेरिका से समझौता करो और चीन को नाराज करो।

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