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ना भोजन और ना पानी, नरसंहार कर रहे नेतन्याहू; UN ने बताई गाजा की परेशानी

  • Gaza genocide: गाजा में इजरायली हमलों के बीच संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति ने नई रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि गाजा में इजरायल के युद्ध के तरीके नरसंहार की तरह हैं।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 14 Nov 2024 04:43 PM
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Gaza genocide: इजरायली सेना का गाजा में भीषण हमला 14 महीने से जारी है। पिछले साल सात अक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर अटैक किया, तब से बदला लेने के लिए इजरायली सेना गाजा पर कहर बनकर टूट पड़ी है। गाजा में इजरायली हमले से मरने वालों की संख्या 44 हजार पार कर गई है। गाजा में भीषण हमले को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर चुकी है। गाजा में इजरायल के लगातार ऑपरेशन के बीच संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति ने नई रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि गाजा में इजरायल के युद्ध के तरीके नरसंहार की तरह हैं।

गाजा में इजरायल की कार्यप्रणाली की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह खुलासा किया गया है कि 14 महीने के युद्ध में इजरायली सेना द्वारा गाजा में फिलिस्तीनियों पर बड़े पैमाने पर हमले हो रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक मारे जा रहे हैं और उन्हें बहुत विपरीत और बुरी स्थिति में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

गाजावासियों के लिए भोजन और पानी तक नहीं

समिति ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "युद्ध की शुरुआत से ही इजरायली अधिकारियों ने गाजा में उन नीतियों का समर्थन किया है, जिससे फिलिस्तीनियों को जीवन के लिए आवश्यक चीजों- भोजन, पानी और ईंधन से वंचित कर दिया है।" इसमें आगे कहा गया है, "मानवीय सहायता का आडंबर करके इजरायल गाजावासियों पर घोर अत्याचार कर रहा है।" इससे पहले संयुक्त राष्ट्र से जुड़े किसी भी निकाय द्वारा गाजा पर इजरायल के युद्ध के लिए "नरसंहार" शब्द का प्रयोग नहीं किया है।

इजरायल ने गैर मान्यता प्राप्त गांव पर बोला धावा

वफ़ा समाचार एजेंसी के अनुसार, इज़रायली अधिकारियों ने नेगेव क्षेत्र के गैर-मान्यता प्राप्त गांव उम्म अल-हिरान पर धावा बोला। यहां अंतिम इमारत, जो एक मस्जिद थी, को ध्वस्त कर दिया है। टाइम्स ऑफ इजराइल समाचार पत्र ने भी इस घटनाक्रम पर रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया कि गांव को मिटा दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, "गांव में करीब 300 लोग रह रहे थे और उन्हें अन्य स्थान पर विस्थापित कर दिया गया है।"

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