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50 नहीं, 500 साल पुरानी राम मंदिर की कहानी; जब काश पटेल ने US मीडिया को लताड़ा; बनने वाले हैं CIA डायरेक्टर

  • अब इस समय काश पटेल के नाम की खूब चर्चा है। उन्होंने पिछले मौकों पर राम मंदिर के संबंध में अमेरिकी मीडिया के भारत विरोधी रुख पर कड़ी फटकार लगाई है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनThu, 7 Nov 2024 06:54 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भारतीय-अमेरिकियों की बढ़ती भूमिका इस बार खास चर्चा का विषय बन गई है। अमेरिका में जन्मे भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि देखी गई। दोनों पार्टियों के कई दिग्गज भारतीय मूल के राजनेता सामने आए हैं। जहां रिपब्लिकन पार्टी की ओर से निक्की हेली, विवेक रामास्वामी और ऊषा वेंस चुनावी मैदान में रहे, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भारतीय-अमेरिकी समुदाय का नेतृत्व कर रही थीं। इससे पहले बाइडेन प्रशासन ने भी कई भारतीय मूल के नेताओं को विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है। अब इस समय काश पटेल के नाम की खूब चर्चा है। उन्होंने पिछले मौकों पर राम मंदिर के संबंध में अमेरिकी मीडिया के भारत विरोधी रुख पर कड़ी फटकार लगाई है।

भारतीय-अमेरिकी नेता काश पटेल उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें ट्रंप का बेहद करीबी माना जाता है। वह ट्रंप के पिछले कार्यकाल में रक्षा और खुफिया विभाग के शीर्ष पदों पर कार्यरत रहे हैं और अब अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर पद के लिए ट्रंप की पसंद माने जा रहे हैं। उन्हें रिपब्लिकन का एक कट्टर समर्थक माना जाता है, जिन्होंने चुनाव में रूस हस्तक्षेप मामले की जांच को खारिज करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। रिपब्लिकन पार्टी के सत्ता में आने के बाद से, कई ट्रंप समर्थक काश पटेल की CIA डायरेक्टर के रूप में नियुक्ति का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, इस पद के लिए सीनेट की मंजूरी आवश्यक होगी। अगर उन्हें मंजूरी नहीं मिलती है, तो पटेल को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को लेकर अमेरिकी मीडिया के नकारात्मक रुख से काश पटेल सहमत नहीं हैं और उन्होंने कई बार तीखी टिप्पणी की है। ज्ञात हो कि राम मंदिर के भूमि पूजन के समय अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने अपनी चिंता व्यक्त की थी, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे "हिंदू-प्रथम भारत की ओर एक कदम" कहा था। हालांकि काश पटेल का मानना है कि अमेरिकी मीडिया का ध्यान केवल पिछले 50 वर्षों की घटनाओं पर केंद्रित रहा, जबकि राम मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा, "राम मंदिर की पुनर्निर्माण की कहानी 500 साल पुरानी है, लेकिन इसे केवल वर्तमान राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा गया।"

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हाल ही में दिवाली पर, डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी हिंदू-अमेरिकियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने मजबूत संबंधों पर जोर दिया। ट्रंप ने अपनी पार्टी के प्रति हिंदू-अमेरिकी समुदाय का समर्थन बढ़ाने का प्रयास करते हुए कहा कि वे "चरमपंथी वामपंथ" की 'धार्मिक विरोधी' नीतियों का विरोध करेंगे।

इस बीच, कैलिफोर्निया का सीनेट बिल 403, जिसमें जाति आधारित भेदभाव को अवैध घोषित करने का प्रस्ताव था, वह भी विवादों में रहा। कई हिंदू-अमेरिकियों का मानना है कि यह कानून उनके समुदाय को निशाना बनाता है। अंततः, गवर्नर गेविन न्यूजॉम ने इस बिल को वीटो कर दिया, जिसके पीछे उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भूमिका मानी जा रही है, ताकि डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति हिंदू समर्थन बना रहे। ट्रंप का भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रति यह रुख उनके और मोदी के करीबी संबंधों को दर्शाता है।

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