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खतरे में तालिबान की अखुंदजादा सरकार! डिप्टी संग खटपट के बीच गृह मंत्रालय के बाहर गोलीबारी

  • तालिबान की अखुंदजादा सरकार खतरे में है। टॉप लीडर की डिप्टी संग खटपट के बीच गृह मंत्रालय के बाहर गोलीबारी हुई है। खबर यह भी है कि तीन सीनियर नेताओं को देश से बाहर निकाल दिया गया है या वे खुद चले गए हैं।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानWed, 19 Feb 2025 10:58 PM
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खतरे में तालिबान की अखुंदजादा सरकार! डिप्टी संग खटपट के बीच गृह मंत्रालय के बाहर गोलीबारी

तालिबान शासित अफगानिस्तान में हालिया हिंसा और नेताओं के बीच गहरे मतभेदों के चलते अखुंदजादा सरकार खतरे में है। बुधवार को राजधानी काबुल में गृह मंत्रालय के बाहर गोलीबारी की घटना ने इस अस्थिरता को और उजागर कर दिया। यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब अखुंदजादा और डिप्टी हक्कानी के बीच गहरे मतभेद चल रहे हैं। तीन सीनियर तालिबानी नेता या तो देश से बाहर हैं या उन्हें निकाल दिया गया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान के तीन सीनियर नेता उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर, गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और उप विदेश मंत्री अब्बास स्तानिकजई – हाल के हफ्तों में अफगानिस्तान से बाहर चले गए हैं। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि या तो वे निर्वासन में चले गए हैं या फिर उन्हें देश से बाहर भेजा गया है।

सबसे चौंकाने वाली अनुपस्थिति हक्कानी की मानी जा रही है, जो तालिबान में एक बेहद प्रभावशाली नेता हैं और कुख्यात हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व करते हैं। उन्हें तालिबान के सर्वोच्च नेता शेख हैबतुल्लाह अखुंदजादा के बाद अफगानिस्तान का दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि हक्कानी अखुंदजादा के बराबर ताकतवर हैं।

अखुंदजादा बनाम हक्कानी

लंबे समय से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखुंदजादा और हक्कानी के बीच सत्ता को लेकर गहरी खींचतान चल रही है। अखुंदजादा ने अफगानिस्तान में कठोर नीतियां लागू की हैं, जिनके तहत महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा और रोजगार के सभी अवसर खत्म कर दिए गए हैं। दूसरी ओर, हक्कानी और उनके समर्थक अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।

उप विदेश मंत्री अब्बास स्तानिकजई भी उन नेताओं में शामिल हैं जो तालिबान शासन की सख्त नीतियों का विरोध कर चुके हैं। जनवरी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने तालिबान सरकार द्वारा लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, "इस प्रतिबंध के लिए कोई बहाना नहीं है – न अब और न भविष्य में। हम 2 करोड़ लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं। पैगंबर मुहम्मद के समय में भी ज्ञान के द्वार पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए खुले थे।"

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हक्कानी समेत तीन नेता देश से बाहर

स्तानिकजई की इस टिप्पणी को अखुंदजादा के अधिकार को चुनौती देने के रूप में देखा गया और इसके बाद उनकी गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए गए। हालांकि, उन्होंने अफगान मीडिया के अनुसार अपनी जान बचाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में शरण ले ली। इसी तरह, सिराजुद्दीन हक्कानी भी करीब एक महीने से अफगानिस्तान से बाहर हैं। पहले वह UAE गए और फिर सऊदी अरब की यात्रा पर चले गए। उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर भी इस महीने की शुरुआत से ही इलाज के नाम पर कतर में मौजूद हैं।

तालिबान में फूट

सूत्रों के अनुसार, इन तीनों शीर्ष नेताओं की अनुपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि तालिबान के भीतर कंधारी गुट और हक्कानी नेटवर्क के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "इन नेताओं की अनुपस्थिति यह दिखाती है कि तालिबान के भीतर सत्ता संघर्ष तेज हो गया है, विशेष रूप से अखुंदजादा के सत्ता-केंद्रित रवैये के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है।"

पाकिस्तान और तालिबान में बढ़ता तनाव

इन आंतरिक मतभेदों के अलावा, तालिबान सरकार और पाकिस्तान के बीच भी तनाव बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा पर कई झड़पें हो चुकी हैं। पाकिस्तान लंबे समय से इस बात से नाराज है कि तालिबान सरकार तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को समर्थन दे रही है। यह संगठन पाकिस्तान में कई घातक हमलों को अंजाम दे चुका है और अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत उसने अपनी गतिविधियां और अधिक बढ़ा ली हैं।

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