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Hindi Newsविदेश न्यूज़Taiwan president says If China wants Taiwan it should also reclaim its lost territories from Russia

कब वापस लोगे अपनी जमीन, रूस के सामने तो बंध जाती है घिग्घी; चीन को ताइवान की दो टूक

  • ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ने चीन की विस्तारवादी नीतियों पर एक बार फिर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर चीन अपनी जमीन की फिक्र करता है तो उसे रूस से भी खोई हुई जमीन वापस लेनी चाहिएन।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 3 Sep 2024 10:36 AM
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ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ने चीन की विस्तारवादी नीतियों पर सीधा सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अगर चीन सच में अपनी जमीन की फिक्र करता है तो उसे रूस से भी अपने खोए हुए इलाके वापस लेने की कोशिश करनी चाहिए। लाइ ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि चीन का ताइवान पर दावा करना और उसे अवैध अलगाववादी प्रांत बताना सिर्फ एक भू-राजनीतिक चाल है।

लाइ ने चीन की ऐतिहासिक घटनाओं के प्रति उसके अलग-अलग रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब चीन ने रूस के हाथों 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर जमीन खो दी थी तो अब क्यों नहीं उसे वापस पाने की कोशिश की जा रही? उन्होंने 1858 की ऐगुन संधि का हवाला दिया जिसमें रूस ने व्लादिवोस्तोक समेत बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया था।

रूस के कब्जे में चीन की जमीन

वहीं, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के विश्लेषक वें-टी सुंग ने कहा कि ऐगुन संधि चीन की सबसे अपमानजनक हारों में से एक है, लेकिन चीनी अधिकारियों ने व्लादिवोस्तोक में रूसी आर्थिक फोरम में बार-बार भाग लिया है, जिससे रूस के शासन को वैधता मिली है। चीन के इस रवैए से साफ जाहिर होता चीन को इस बात की कोई फिक्र नहीं है आज उसकी जमीन पर रूस का कब्जा है। मगर सवाल है कि आखिर चीन की तिरछी नजर हमेशा ताइवान के ऊपर ही क्यों रहती हैं?

लाइ चिंग-ते ने बताया- चीन क्यों करना चाहता है ताइवान पर कंट्रोल

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ने कहा कि अगर चीन सच में अपनी जमीन की चिंता करता तो उसे रूस से भी अपने इलाके वापस लेने चाहिए थे खासकर तब जब रूस कमजोर स्थिति में है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की असल मंशा ताइवान पर कब्जा करके प्रशांत महासागर की पहले द्वीप श्रृंखला पर अपना कंट्रोल बढ़ाना है ताकि वह वैश्विक व्यवस्था को अपने हक में मोड़ सके। 

लाइ का यह बयान ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ा सकता है। हालांकि, चीन की ओर से इस बयान पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ताइवान की तरफ से यह बयान ऐसे समय पर आया है जब चीन अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।

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