असद की जेलों में ऐसा हुआ हाल, सीरिया में पहचाने नहीं जा रहे शव; आंखें तक गायब
- सीरिया में प्रेसीडेंट बशर अल असद का पतन हो चुका है। असद ने अपने शासनकाल के दौरान लोगों पर काफी जुल्म ढाए। जरा-जरा सी बात पर लोगों को जेल में डाल दिया जाता था।
सीरिया में प्रेसीडेंट बशर अल असद का पतन हो चुका है। असद ने अपने शासनकाल के दौरान लोगों पर काफी जुल्म ढाए। जरा-जरा सी बात पर लोगों को जेल में डाल दिया जाता था। जेल में बंद तमाम लोगों की जान जा चुकी है। असद का शासन खत्म होने के बाद इन जेलों से शवों को निकाला जा रहा है। मॉर्चरी हाउस में बड़ी संख्या में लोग अपने करीबियों का शव लेने के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि शवों की हालत ऐसी है कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा है। मोहम्मद चईब नाम के शख्स का शव ऐसी ही हालत में मिला। उनकी आंखें तक निकली हुई थीं। चईब ने कहा, ऐसा लगता है कि वह चीख-चीखकर मर गया होगा। अनुमान के मुताबिक 2011 से सीरिया में डेढ़ लाख लोगों को हिरासत में लिया गया है। बशर अल असद के खिलाफ जरा सी भी आवाज उठाने वालों की जगह जेल होती थी।
चईब के भाई को पांच साल पहले जेल हुई थी। वह राष्ट्रपति असद द्वारा बनाए गए उस जेल में था, जिसमें किसी का पता नहीं चलता। असद सरकार ने देशभर में ऐसे डिटेंशन सेंटर्स और जेल बना रखी थीं, जिनके बारे में आम लोगों को पता ही नहीं था। इन जेलों में बंद लोगों की मौत हो जाने के बाद भी उन्हें बाहर नहीं निकाला जा रहा था। अब असद सरकार के गिरने के बाद सीरियाई लोग इन शवों की फोटो दुनिया भर में शेयर कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि शायद मृतक के करीबी आखिरी बार अपने प्रियजनों को देख सकेंगे।
राजधानी दमिश्क में स्थित ऐसे ही एक मॉर्चरी हाउस में दीवार पर मृतकों की तस्वीरें लगी हैं। इनके परिजन यहां पर पहुंचकर बहुत ही बेसब्री से इन तस्वीरों में अपनों को तलाश रहे हैं। मोहम्मद चईब को उनके एक भाई ने टर्की से एक फोटो भेजी थी। इसके बाद वह भागते हुए यहां पहुंचे। चईब को पता भी नहीं कि उनके भाई को आखिर किसलिए जेल की सजा हुई थी। उन्होंने अपने भाई के शव की पहचान उसके कान के पास बने निशान से की। इसके अलावा 12 साल की उम्र से ही चोट लगने के चलते उनके भाई की एक अंगुली कट गई थी।
इस मर्चरी में तैनात यासेर कैसर नाम के एक फोरेंसिक असिस्टेंट ने बताया कि उन्हें सुबह अस्पताल से 40 शव मिले हैं। इनके फिंगर प्रिंट और डीएन सैंपल लिए जा रहे हैं। लेकिन इतनी ज्यादा संख्या में लोग आ रहे हैं कि मिलान करना मुश्किल हो रहा है। इनमें से कुछ शव कुख्यात सदनाया जेल से आए हैं। यह अभी भी कैदियों के कपड़ों में ही हैं। मर्चरी के एक अन्य कर्मचारी डॉक्टर अब्दुल्लाह यूसुफ ने कहाकि इन सभी की पहचान में काफी वक्त लगेगा। उन्होंने कहाकि हमें परिवारों की तकलीफ का पूरा अंदाजा है।
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