9 माह में दूसरी बार इजरायल तट पर क्यों पहुंचा US और UK का जंगी बेड़ा? क्या बड़े युद्ध की है आहट
Middle-East War Tension: संयुक्त राज्य अमेरिका निकासी और संयुक्त सैन्य अभियानों के समन्वय के लिए सहयोगियों के साथ बातचीत भी कर रहा है। ताकि मिडिल-ईस्ट में बिगड़ते हालात पर काबू पाया जा सके।
मिडिल-ईस्ट में संकट गहराता जा रहा है। पिछले 9 महीनों से इजरायल और हमास के बीच छिड़े जंग के बीच इजरायल दूसरे मोर्चे पर हिज्बुल्लाह के साथ भी जंग लड़ रहा है। बीते शनिवार को इजरायल के गोलान हाइट्स पर रॉकेट से हमले किए गए, जिसमें 12 बच्चों की मौत हो गई। इजरायल ने इसके लिए हिज्बुल्लाह को दोषी ठहराया लेकिन हिज्बुल्लाह ने उन आरोपों का खंडन किया।
इसके बाद इजरायल ने मंगलवार को हिज्बुल्लाह के टॉप कमांडर फवाद शुक्र को लेबनान के बेरुत में मार गिराया है। दूसरी तरफ, उसी दिन इजरायल ने ईरान के अंदर घुसकर हमास के टॉप कमांडर इस्माइल हानियेह को भी मार गिराया। अब दो टॉप कमांडरों की हत्या से मिडिल-ईस्ट में खलबली मची हुई है।
ऐसा नहीं है कि अमेरिका को इसका अंदाजा पहले से नहीं था। अमेरिका और ब्रिटेन दोनों को इस बात का अंदाजा था कि इजरायल आगामी दिनों में हमास और हिज्बुल्लाह के खिलाफ निर्णायक और कठोर कदम उठा सकता है, जिससे कि मिडिल-ईस्ट में युद्ध और तनाव दोनों भड़क सकता है। इसी के मद्देनजर अमेरिका ने नौ महीने में दूसरी बार अपने जंगी बेड़े को भूमध्य सागर में तैनात किया है। USA ने उभयचर हमला जहाज यूएसएस वास्प और उस पर सवार नौसैनिकों को पूर्वी भूमध्य सागर में तैनात कर दिया है। अमेरिका ने तीन जंगी जहाजों यूएसएस वास्प, यूएसएस ओक हिल और यूएसएस न्यूयॉर्क को इस युद्धपोत पर तैनात किया है।
इन तीन जहाजों में 24वीं समुद्री अभियान इकाई के 2,200 नौसैनिक और उनके विशाल उपकरण सवार हैं। इसके अलावा इस पर ऑस्प्रे टिल्ट्रोटर्स, कई हेलीकॉप्टर्स, एलसीएसी होवरक्राफ्ट और अन्य लैंडिंग क्राफ्ट भी तैनात हैं। ये एयरक्राफ्ट्स किसी भी हालात से निपटने और लोगों को वहां से निकालने में पूरी तरह सक्षम हैं।
माना जा रहा है कि अमेरिकी नौसेना और ब्रिटिश रॉयल नेवी मिडिल-ईस्ट में जंग के सूरते हाल में अपने नागरिकों को वहां से बाहर निकालने के लिए तैयार हो रही है लेकिन जंगी बेड़ों की तैनाती कई मायने में अहम है। 7 अक्तूबर को जब हमास ने इजरायल पर हमला बोला था और इजरायल ने फिलिस्तीन और गाजा पट्टी पर जवाबी हमला बोला था, तो उस वक्त भी अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने जंगी बेड़े को भूमध्य सागर में तैनात किया था। लेकिन इस बार अंतर यह है कि अमेरिका ने उस बेड़े में परमाणु संचालित एयरक्राफ्ट करियर को शामिल नहीं किया है।
पिछले अक्टूबर में यह तर्क दिया गया था कि यूएसएस फोर्ड की भूमध्य सागर में तैनाती के कारण हिज़्बुल्लाह को बहकने से रोक दिया गया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अमेरिका ने लाल सागर में भी जंगी बेड़े की तैनाती कर रखी है। इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका निकासी और संयुक्त सैन्य अभियानों के समन्वय के लिए सहयोगियों के साथ बातचीत भी कर रहा है। ताकि मिडिल-ईस्ट में बिगड़ते हालात पर काबू पाया जा सके।
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