दो धुर विरोधी देश ईरान और अमेरिका ओमान में क्यों कर रहे चुपके-चुपके मीटिंग, ये बैठक अहम क्यों; मायने क्या?
2015 के परमाणु समझौते पर दोनों देशों के बीच हुए टकराव और उसे फिर से पटरी पर लाने के कई असफल प्रयासों के बाद हुई इस मीटिंग के बारे में दोनों पक्षों ने सार्वजनिक तौर पर कुछ भी बताने से इनकार किया है।
US and Iran holding secret Talks: दो धुर विरोधी और पारंपरिक दुश्मन देश अमेरिका और ईरान के अधिकारियों ने ओमान की राजधानी मस्कट में बंद दरवाजों के भीतर बातचीत की है। माना जा रहा है कि बातचीत में दोनों देशों ने मध्य-पूर्व और खाड़ी देशों में तनाव कम करने, तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने और अमेरिकी कैदियों को रिहा करने पर बातचीत की है। बैठक की जानकारी ओमान के अधिकारियों ने दी है।
2015 के परमाणु समझौते पर दोनों देशों के बीच हुए टकराव और उसे फिर से पटरी पर लाने के कई असफल प्रयासों के बाद हुई इस मीटिंग के बारे में दोनों पक्षों ने सार्वजनिक तौर पर कुछ भी बताने से इनकार किया है। दोनों देशों के बीच तनातनी और तल्खी तभी से ज़्यादा बढ़ी हुई है, जब अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु समझौते (संयुक्त व्यापक कार्य योजना-Joint Comprehensive Plan Of Action-JCPOA) से अपने को अलग कर लिया था।
डोनाल्ड ट्रम्प ने कर लिया था खुद को अलग: पांच साल पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आधिकारिक तौर पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) वाले ऐतिहासिक समझौते से खुद को अलग कर लिया था और ईरान के खिलाफ "अधिकतम दबाव" अभियान के तहत एकतरफा प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका के कई सहयोगी देशों ने शुरू में तो इसे राष्ट्रपति ट्रंप की हठधर्मिता बताया लेकिन बाद में विभिन्न प्रतिबंधों के मद्देनज़र अमेरिकी नीति का अनुसरण करते हुए ईरान पर बैन में शामिल हो गए।
वार्ता के संकेत क्या: विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों पक्ष 2015 के न्यूक्लियर डील पर JCPOA सौदे को फिर से पटरी पर लाने की बजाय उस डील के प्रमुख उद्देश्यों के साथ एक अल्पकालिक समझौते पर कोई निष्कर्ष के साथ पहुंचें, जो कई सालों से अटके पड़े हैं। जानकारों के मुताबिक, ये वार्ता दो पारंपरिक दुश्मनों के बीच एक तरह की कूटनीति की बहाली का संकेत भी देती है।
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक तस्नीम समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने पिछले सप्ताह एक प्रेस ब्रीफिंग में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत की पुष्टि की है और कहा कि "मस्कट वार्ता गुप्त नहीं थी।"कनानी ने यह भी कहा कि दोनों का JCPOA से अलग समझौते पर बातचीत करने का कोई इरादा नहीं है।
बाइडेन प्रशासन नहीं देना चाहता रियायत: उधर, अमेरिकी सरकार ने भी अब तक इस बात से इनकार किया है कि ईरान के साथ कोई समझौता किया जा रहा है। कतर विश्वविद्यालय में खाड़ी अध्ययन केंद्र के निदेशक,महजूब ज़्वेरी ने कहा, "राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन "ईरान को रियायतें" देते हुए नहीं दिखना चाहता है, खासकर तब, जब अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हों।" ज़्वेरी ने अल जज़ीरा को बताया कि अमेरिका यह भी नहीं चाहता कि सहयोगी इज़राइल ईरान पर कोई प्रॉक्सी हमला करे क्योंकि इससे क्षेत्रीय स्थिति जटिल हो सकती है।
ईरान के लिए वार्ता सकारात्मक: एक ईरानी विशेषज्ञ और कार्नेगी यूरोप में रेजिडेन्ट फेलो कॉर्नेलियस अदेबहार के अनुसार, दोनों देशों के बीच फिलहाल न तो कोई नया 'सौदा' हुआ है और न ही कोई अनौपचारिक बातचीत, जिसके बारे में खास उल्लेख किया जा सके। अदेबहार ने बताया कि ईरान और अमेरिका के बीच हाल की व्यवस्था जिसमें ईरान को इराक से बकाया ऋण भुगतान प्राप्त करने की अनुमति दी गई है, वह ईरान के लिए एक सकारात्मक कदम है, जबकि अमेरिका के लिए उसके पुराने खतरनाक स्टैंड के विपरीत है।
ईरान इस बात पर अब भी अडिग है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और उसके बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को जेसीपीओए में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। ईरान यह भी मानता रहा है कि अमेरिका लंबे समय से उसे परमाणु हथियार बनाने की आड़ में विवाद में फँसाकर उस पर हमला करने की तैयारी में है। ठीक वैसे ही जैसा कि इराक के साथ अमेरिका ने किया था। ईरान पर अमेरिका का दांव इसलिए नहीं चल पाया क्योंकि ईरान के साथ रूस दोस्त देश के रूप में खड़ा है।
बातचीत की अहमियत: मौजूदा बातचीत के तहत अमेरिका चाहता है कि ईरान के परमाणु और हथियार कार्यक्रमों पर अंकुश लगाने के अलावा, ईरान में कैद अमेरिकियों की रिहाई को सुनिश्चित किया जाए, रूस-यूक्रेन युद्ध में ईरान की कथित भूमिका को सीमित किया जाए और ऊर्जा बाजार और तेल की कीमतों को स्थिर करने का प्रयास किया जाए। बता दें कि ईरान ने रूस को कई ड्रोन दिए हैं, जो यूक्रेन संग युद्ध में पश्चिमी देशों को परेशान कर रहे हैं। हालांकि, तेहरान ने कहा है कि उसने युक्रेन-रूस युद्ध सुरू होने से महीनों पहले रूस को ड्रोन की आपूर्ति की थी, और वह भी चाहता है कि बातचीत के माध्यम से ये जंग हो।
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