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क्यों हमेशा हिलती है तुर्की की धरती? 3 साल में 33 हजार बार आया भूकंप; 41 हजार जिंदगियां हुईं तबाह

WHO के मुताबिक 6 फरवरी को आए भूकंप की वजह से मरने वालों की संख्या 50,000 से अधिक हो सकती है। तुर्की में भूकंप कोई नई बात नहीं है। यहां ऐसा बार-बार होता है। आखिर यह क्षेत्र बार-बार क्यों कांपता है?

Himanshu Tiwari लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSat, 18 Feb 2023 03:45 AM
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6 फरवरी को भूकंप ने सीरिया और तुर्की को हिला कर रख दिया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 रही। इसके बाद तुर्की और सीरिया में करीब 100 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। मरने वालों की संख्या 41 हजार से ज्यादा हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आशंका है कि यह संख्या 50,000 से अधिक हो सकती है। तुर्की में भूकंप कोई नई बात नहीं है। यहां ऐसा बार-बार होता है। आखिर यह क्षेत्र बार-बार क्यों कांपता है? आइए जानते हैं।

यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, छह फरवरी को आए भूकंप का केंद्र गाजियांटेप से 33 किलोमीटर दूर 18 किलोमीटर की गहराई में था। तुर्की के उप राष्ट्रपति फुअत ओत्के ने कहा कि गाजियांटेप और कहरामनमारस इलाकों में 900 घर जमींदोज हो गए। सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने कहा कि इतिहास में उनके देश में इससे ज्यादा शक्तिशाली भूकंप कभी नहीं आया।

भूकंप से तुर्की के 10 शहरों को भारी नुकसान पहुंचा है। सरकार के मुताबिक, 2,818 घर ढह गए हैं। हालांकि निजी अनुमान कहते हैं कि भूकंप में कई गुना ज्यादा घर तबाह हो गए। गाजियांटेप का 2,200 साल पुराना महल लगभग नष्ट हो चुका है। लेकिन यह भूकंप तुर्की में पहला नहीं है। पृथ्वी के आंतरिक हलचल से अक्सर तुर्की कांप उठता है। 2020 में ही क्षेत्र को 33 हजार बार झटका लगा था। डिजास्टर एंड इमरजेंसी मैनेजमेंट अथॉरिटी ने कहा कि इनमें से 332 भूकंपों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4 या इससे अधिक मापी गई।

क्यों आते हैं तुर्की में इतने भूकंप

टेक्टोनिक प्लेट पर तुर्की स्थित है, उसके कारण देश में लगातार भूकंप आते रहते हैं। पृथ्वी 15 प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों पर टिकी हुई है। भूकंप तब आते हैं जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं। तुर्की एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट पर स्थित है। एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन और अरेबियन प्लेट्स के बीच के फॉल्ट के साथ स्थित है। फॉल्ट लाइन जिसके साथ यूरेशियन और एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट्स मिलती हैं, उसे नॉर्थ एनाटोलियन फॉल्ट (NAF) कहा जाता है।

एनाटोलियन फॉल्ट रेखा इस्तांबुल के दक्षिण से पूर्वोत्तर तुर्की तक फैली हुई है। इस अशांत फॉल्ट लाइन के कारण तुर्की में बार-बार भूकंप आते हैं। इस फॉल्ट लाइन की लंबाई 650 किमी है। फॉल्ट लाइन पूर्वी तुर्की से भूमध्य सागर के तल तक फैली हुई है। अरेबियन प्लेट धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़ रही है। इनके घर्षण से भूकंप आते हैं।

तुर्की की 95 फीसदी जमीन पर है भूकंप का जोखिम

एक रिसर्च संस्था के मुताबिक तुर्की की 95 फीसदी जमीन भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। पूरे देश के एक तिहाई हिस्से में भूकंप का जोखिम बहुत अधिक है। पूर्वी अनातोलिया और इस्तांबुल जैसे प्रमुख शहर भी इसके दायरे में आते हैं।

2013 से 2022 तक तुर्की में 30 हजार 673 भूकंप आए। इनमें से दो की माप छह फरवरी को रिक्टर पैमाने पर की गई थी। इससे पहले 1939 में तुर्की में इतना तेज भूकंप आया था। भूकंप की तीव्रता 8.0 थी। वहां 20 हजार लोगों की मौत हुई थी। 1 लाख 16 हजार 720 घर ढह गए।

1939 से 1999 तक तुर्की में पांच बड़े भूकंप आए। 1900 के बाद से उस देश में 76 बड़े भूकंप आ चुके हैं। कम से कम 90 हजार लोगों की जान चली गई। पिछली सदी में तुर्की में आए इन भूकंपों से 25 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।

1999 में, इस फॉल्ट लाइन के साथ दो प्लेटों के घर्षण के कारण तुर्की में दो बड़े भूकंप आए। एक गोलसुक में और एक दुजसे प्रांत में। रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता 7.4 और 7.0 रही। उन दो भूकंपों में 18 हजार लोग मारे गए थे। 45 हजार लोग घायल हुए थे। 2011 में तुर्की में एक और भूकंप आया। रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7.1 रही। कम से कम 500 लोग मारे गए।

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