भारत में बनी कोविड दवाएं क्यों मांग रहे चीन के लोग? ब्लैक मार्केट तक जाने को तैयार
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने पहले संभावित जोखिमों की चेतावनी दी थी और लोगों से अवैध चैनलों से दवाएं नहीं खरीदने का आग्रह किया था।
कोरोना से बेहाल चीन के लोगों के पास अब दवाओं की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। एक रिपोर्ट में कहा गया है अभूतपूर्व महामारी फैलने के बीच चीनी निवासियों ने जेनेरिक कोविड दवाओं के लिए काला बाजार यानी ब्लैक मार्केट का रुख किया है। चीन ने इस साल दो कोविड-19 एंटीवायरल दवाओं को मंजूरी दी थी जिनमें फाइजर की 'पैक्सलोविड' और चीनी फर्म जेनुइन बायोटेक की एक एचआईवी दवा 'अजवुडाइन' शामिल है। लेकिन ये दोनों ही दवाएं चीन के कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध हैं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अपनी खबर में बताया है कि चीन के लोग सस्ती लेकिन अवैध रूप से भारत से आयातित जेनेरिक दवाओं का विकल्प चुन रहे हैं। मांग के बीच, "1,000 युआन (11881 रुपये) प्रति बॉक्स में बिकने वाली एंटी-कोविड भारतीय जेनेरिक दवाएं" जैसे विषय चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर ट्रेंड कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से चार प्रकार की जेनेरिक एंटी-कोविड दवाएं चीनी बाजार में अवैध रूप से बेची जा रही हैं - जिनमें ब्रांड नाम Primovir, Paxista, Molnunat and Molnatris शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जेनरिक दवाओं को चीनी सरकार ने मंजूरी नहीं दी है और उन्हें बेचना दंडनीय अपराध है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने पहले संभावित जोखिमों की चेतावनी दी थी और लोगों से अवैध चैनलों से दवाएं नहीं खरीदने का आग्रह किया था।
फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के चेयरमैन साहिल मुंजाल ने पिछले हफ्ते रॉयटर्स को बताया, "[भारतीय] दवा निर्माताओं के पास इबुप्रोफेन और पेरासिटामोल की कीमत आदि पूछने के लिहाज से मैसेज आ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भारत चीन को बुखार की दवाओं का उत्पादन और निर्यात बढ़ाएगा। चीनी अस्पतालों और शवदाह घरों पर अत्यधिक दबाव है क्योंकि बढ़ती कोविड लहर ने संसाधनों को खत्म कर दिया है।
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