ओमान का वो पोर्ट जिसके जरिए पाकिस्तान और चीन को एक साथ साध सकता है भारत
पकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत ईरान के चाबहार पोर्ट पर तो काम कर ही रहा है। इसके साथ ही भारत ओमान के साथ भी बेहतर रिश्ते बना रहा है और ओमान के डुकम पोर्ट पर काम...
पकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत ईरान के चाबहार पोर्ट पर तो काम कर ही रहा है। इसके साथ ही भारत ओमान के साथ भी बेहतर रिश्ते बना रहा है और ओमान के डुकम पोर्ट पर काम कर रहा है। ओमान के टॉप रक्षा अधिकारी भारत मोहमम्द नासिर अल जाबी भारत के चार दिनी दौरे पर हैं। जाबी ने 1 फरवरी को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की है। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने संयुक्त अभ्यास, इंडस्ट्री कोऑपरेशन और जारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट्स सहित सैन्य संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की है।
खाड़ी के देशों में ओमान भारत के सबसे करीबी देशों में से है। 2018 में दोनों देश ने एक समझौता किया था। इसके तहत भारत को सैन्य इस्तेमाल और सैन्य समर्थन के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पोर्ट ऑफ डुकम तक पहुंच प्रदान मिली थी। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। यह रणनीतिक रूप से ईरान में चाबहार बंदरगाह के पास है। मॉरीशस और सेशेल्स के अगालेगा में विकसित किए जा रहे कथित द्वीप के साथ डुकम भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप में फिट बैठता है।
इस पोर्ट के जरिए भारत को हिंद महासागर में अपर हैंड मिल जाएगा। हिंद महासागर के उत्तर-पश्चिम में होने के कारण यह पोर्ट भारत को अदन की खाड़ी के जरिए रेड सी तक पहुंचना आसान हो जाएगा। 2018 में जब पीएम मोदी ओमान के दौरे पर गए थे तो 8 समझौते हुए थे। व्यापार और निवेश के मकसद के लिए भी यह पोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण है।
पोर्ट ऑफ डुकम स्पेशल इकोनॉमिक जोन भारत और ओमान का एक जॉइंट वेंचर है। यहां मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा सेबैसिक एसिड प्लांट स्थापित करने के लिए 9000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। अदानी समूह ने हाल के सालों में डुकम पोर्ट के अधिकारियों के साथ एक समझौते पर साइन किए थे। डुकम के पास सामरिक तेल भंडार के संदर्भ में भारत ने ओमान को भारत में सामरिक तेल भंडार के निर्माण में भाग लेने के लिए निमंत्रण दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि पोर्ट पर एक हमलावर पनडुब्बी और दो लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान भी तैनात किए गए हैं। भारत को सैन्य उपयोग, टोही विमानों के लिए रणनीतिक तौर पर अहम ओमान के इस पोर्ट तक पहुंच प्राप्त है। हाल के दिनों में निगरानी और सहयोग बढ़ाने के मकसद से नौसैनिक इकाई एक महीने की तैनाती पर थी। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि डुकम एक ऐसा पोर्ट हो सकता है जिसके जरिए भारत चीनी समुद्री विस्तारवाद पर नियंत्रण रखने में सफल हो सकता है।
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