बिलावल भुट्टो के भारत दौरे को एक अवसर के रूप में क्यों देख रहा पाकिस्तान, किन बदलावों पर टिकीं निगाहें
2019 में पुलवामा में CRPF जवानों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक कर दी थी और बालाकोट स्थित कई आतंकी कैम्पों को ध्वस्त कर दिया था।इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते खत्म हो गए
पड़ोसी देश पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी कल (4 मई) से दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। वह गोवा में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में 4 और 5 मई को हिस्सा लेंगे। 2014 के बाद किसी पाकिस्तानी मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत का दौरा किया था। पाकिस्तान भुट्टो के इस दौरे को एक अवसर के रूप में देख रहा है, ताकि दोनों देशों के बीच तल्ख रिश्तों के बीच बातचीत का नया अध्याय शुरू हो सके।
हालाँकि, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की दो दिवसीय बैठक के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच किसी भी तरह के द्विपक्षीय बातचीत की कोई संभावना नहीं है क्योंकि यह संगठन द्विपक्षीय विवादों के समाधान का मंच नहीं है। बावजूद इसके पाकिस्तान इस बात से उत्साहित है कि इसी बहाने दोनों देशों के विदेश मंत्री मिलेंगे और रिश्तों में खुशहाल क्षणों का आदान-प्रदान करेंगे। पाकिस्तान को उम्मीद है कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच 2019 से चल रहे कड़वे रिश्तों को मधुर बनाने में मदद कर सकता है।
बता दें कि 2019 के फरवरी में पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक कर दी थी और बालाकोट स्थित कई आतंकी कैम्पों को ध्वस्त कर दिया था। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते खत्म हो गए थे। अब बिलावल भुट्टो जरदारी एक दशक से अधिक समय बाद भारत आने वाले पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री होंगे।
माना जा रहा है कि दोनों देशों को शीर्ष राजनयिकों के बीच गोवा एक मंच प्रदान कर कता है, जहां दोनों पड़ोसी शायद ट्रैक II फॉर्मूले के तहत बातचीत का मार्ग आगे बढ़ा सकते हैं। 2019 के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार, कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों पर व्यावहारिक रूप से बर्फ जमे हुए हैं। 2019 में आतंकी हमले ने पाकिस्तान और भारत के बीच की खाई को चौड़ा कर दिया था।
पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन ने लिखा है, "दोनों पक्षों को संबंधित राजधानियों में उच्चायुक्तों को तैनात करके पूर्ण राजनयिक संबंधों को बहाल करने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, व्यापार संबंधों के साथ-साथ खेल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को फिर से स्थापित करने के लिए भी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।"
अखबार ने लिखा है कि लंबे अंतराल के बाद अब दोनों देशों को पेचीदा वीजा व्यवस्था में ढील देनी चाहिए ताकि दोनों मुल्कों के लोग, विशेष रूप से विभाजित परिवारों के सदस्यों को मुलाकात की सुविधा मिल सके। साथ ही खेल टीमों को, विशेष रूप से क्रिकेट में, 'तटस्थ' स्थानों की तलाश करने के बजाय एक-दूसरे के शहरों में मैच खेलने चाहिए।
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