Hindi Newsविदेश न्यूज़Nanjing Massacre 1937 when japan army killed 3 lakh people in china war - International news in Hindi

लूट, रेप और 3 लाख हत्याएं; 6 हफ्तों तक चला वो नरसंहार जब कांप उठा था चीन

साल 1937 में वो तारीख थी 13 दिसंबर, जब जापान के सैनिकों ने चीन के नानजिंग शहर पर कत्लेआम शुरू किया। 6 हफ्तों तक चले इस नरसंहार में जापान ने चीन के 3 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 13 Dec 2023 01:04 PM
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लूट, रेप और 3 लाख हत्याएं; 6 हफ्तों तक चला वो नरसंहार जब कांप उठा था चीन

Nanjing Massacre- यह भयानक नरसंहार द्वितीय विश्व युद्ध से दो साल पहले का है। विश्व युद्ध में जर्मनी के साथ मिलकर जापान की सेना मित्र राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध लड़ी। जापान की सेना को तब बहुत खूंखार माना जाता था। जापान की फौज की भयावह कहानियां काफी बदनाम थी। वो बंदी सैनिकों को मारकर खा जाते थे, उन्हें प्रैक्टिस के लिए पुतले के रूप में इस्तेमाल करते थे। वगैरह, वगैरह। जब चीन के साथ जापान का युद्ध हुआ तो उसकी वो कहानियां चीनी सैनिकों को पहले ही डरा गई। हुआ यूं कि चीन की तत्कालीन हुकूमत ने बिना लड़े ही हार मान ली। बचे-खुचे सैनिकों ने मैदान छोड़ दिया। इसके बाद जो हुआ वो दुनिया का सबसे वीभत्स नरसंहार में से एक है। चीन की जनता के साथ जापानी सेना ने ऐसा सलूक किया जो सुने उसकी रूह कांप जाए। जापानी सैनिकों ने चीन के खूबसूरत शहर नानजिंग में वो कत्लेआम मचाया उसकी कोई सीमा नहीं। 

साल 1937 में वो तारीख थी 13 दिसंबर, जब जापान के सैनिकों ने चीन के नानजिंग शहर पर कत्लेआम शुरू किया। 6 हफ्तों तक चले इस नरसंहार में जापान ने चीन के 3 लाख लोगों को मौत के घाट उतारा। इसमें सैनिक और बड़ी संख्या में आम नागरिक शामिल थे। 80 हजार महिलाओं की इज्जत लूटी गई। उस समय नानजिंग शहर नेशनलिस्ट चाइना की राजधानी हुआ करती थी। जापान के सैनिकों ने कुछ ही दिनों में पूरे शहर को श्मशान घाट बना दिया। इस शहर को इस बर्बरता और जख्मों से उबरने में दशकों वर्ष लग गए। 

जापान की क्रूरता देख भाग गए चीनी सैनिक
बताया जाता है कि पहले चीन से युद्ध के दौरान जापान की सेना ने शंघाई में जमकर खून-खराबा किया। जीत मिलने के बाद जापान की सेना आगे बढ़ रही थी। उधर, चीन के लीडर चियांग काई शेक खौफ में थे। उन्होंने नानजिंग शहर से करीब पूरी ही सेना को हटाकर अपनी और अपने करीबियाों की हिफाजत में लगा दिया। वहां सिर्फ वो सैनिक बचे जो जवानों को ट्रेनिंग देते थे। जापान की सेना को आते देख वे भी उल्टे पांव भाग खड़े हुए। हुआ यूं कि जापान की सेना को चीन के लोगों के साथ कुछ ही करने की छूट दे दी गई।

13 दिसंबर, 1937 को जापान की सेंट्रल चाइना फ्रंट आर्मी अपने जनरल मात्सुई इवान की कमान में नानजिंग शहर में दाखिल हुई। हजारों सैनिकों को मार कर उनको कब्रों में सामूहिक रूप से दफना दिया। उनकी बर्बरता सिर्फ सैनिकों तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने आम लोगों से और भी क्रूरता की। हजारों परिवार के सिर कलम कर दिए गए। महिलाओं से रेप किया। यह कत्लेआम करीब 6 हफ्तों तक चला। हमले के बाद महीनों तक शहर की गलियों में लाशों का ढेर पड़ा रहा। जापानी सैनिकों ने कई घरों को आग लगा ली। पूरा शहर श्मशान घाट बन गया।

नानजिंग शहर में हत्या का सटीक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है लेकिन, अनुमान जताया जाता है कि जापान के सैनिकों ने करीब 3 लाख चीनियों को मौत के घाट उतार दिया। चीन की सरकार हर साल 13 दिसंबर के दिन राष्ट्रीय शोक दिवस मनाती है। 

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