ऑस्ट्रेलिया, मालदीव और श्रीलंका के बाद इटली की भी BRI से लगी लंका, चीन पर भड़का
ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों के कर्ज में डूबने के बाद अब इटली ने भी चीन की BRI परियोजना से जुड़ने को अपनी गलती माना है और दिसंबर तक एग्जिट की बात कही है। यह ड्रैगन के लिए बड़ा झटका है।
चीन के बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट (BRI) से जितनी तेजी से एशिया से लेकर यूरोप तक कई देश जुड़े थे, उतनी ही जल्दी ये लोग परेशान हो गए हैं और किसी तरह निकलने की तैयारी में हैं। ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों की चीन ने पहले ही हालत खस्ता कर दी है। श्रीलंका और मालदीव तो इससे बुरी तरह कर्ज में डूब गए हैं। इस बीच इटली ने भी इस परियोजना से जुड़ने को अपनी गलती माना है और दिसंबर तक एग्जिट की बात कही है। इटली के रक्षा मंत्री गोइदो क्रोसेटो ने एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन की इस फैसले में शामिल होना तबाह करने वाला फैसला था। उन्होंने कहा कि यह फैसला जल्दबाजी में ले लिया गया था।
इटली के डिफेंस मिनिस्टर ने ऐसा कहने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि इस फैसले से चीन को तो फायदा मिला और उनका निर्यात हमारे यहां काफी बढ़ गया, लेकिन हमें एक्सपोर्ट का फायदा नहीं मिल सका। इटली के नेता ने 'कोरियरे डेला सेरा' न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में कहा, 'नए सिल्क रोड में शामिल होने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया और तबाह करने वाला कदम था। इसकी वजह से चीन का निर्यात इटली में कई गुना बढ़ा, लेकिन चीन में इटली के निर्यात पर इससे उतना असर नहीं पड़ा।' उनका यह बयान चीन के उलट है। पिछले दिनों चीन ने कहा था कि BRI से दोनों देशों को लाभ हो रहा है।
इटली के रक्षा मंत्री ने कहा कि आज अहम मुद्दा ये है कि चीन के साथ संबंधों को नुक़सान पहुंचाए बिना इस योजना से कैसे पीछे हटा जाए। इस बीच इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने कहा कि उनकी सरकार के पास बीआरआई मुद्दे पर फै़सला लेने के लिए दिसंबर तक का समय है। वह जल्दी ही चीन के दौरे पर भी जाने वाली हैं। मेलोनी ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि यह एक 'विरोधाभास' है कि भले ही इटली बीआरआई का हिस्सा है, लेकिन इटली जी-7 समूह का ऐसा देश नहीं जिसके चीन के साथ सबसे मज़बूत व्यापारिक संबंध हों। उनका इशारा एकतरफा कारोबार की ओर था। बता दें कि मार्च 2019 में चीन के साथ बीआरआई पर समझौता करने वाला इटली अकेला यूरोपीय देश था।
श्रीलंका ने चीन की मदद से कई पोर्ट तैयार किए थए। इसके अलावा हंबनटोटा बंदरगाह को भी 99 साल के लिए चीन को लीज़ पर दे दिया। श्रीलंका को लगता था कि इससे वह बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश पा सकेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। श्रीलंका उलटे कर्ज के दलदल में धंसता चला गया। हालात यह हो गए कि 2022 में श्रीलंका अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ गया। ऑस्ट्रेलिया ने तो 2021 में इस परियोजना से जुड़े दो समझौते ही रद्द कर दिए। मालदीव भी कर्ज के संकट में फंस गया है।
कितने देश हैं चीन के BRI का हिस्सा
चीन का दावा है कि उसके इस प्रोजेक्ट से दुनिया के 130 देश जुड़े हैं। चीन का कहना है कि उसने प्राचीन सिल्क रूट को जिंदा किया है, इससे एशिया से लेकर यूरोप और अफ्रीका तक जुड़ जाएंगे। ईसा पूर्व 130 से लेकर साल 1453 तक यानी क़रीब 1,500 सालों तक पूर्वी एशिया और यूरोप के मुल्कों के लिए व्यापारी इन्हीं रास्तों का इस्तेमाल करते थे। इस सिल्क रूट पर भारत का भी उत्तर पश्चिमी हिस्सा पड़ता था, जिसका एक क्षेत्र पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है। भारत के पड़ोसी श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान भी BRI का हिस्सा हैं। हालांकि भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान से इसके गुजरने का विरोध करते हुए हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। गिलगित बाल्टिस्तान भारत के लद्दाख क्षेत्र का ही हिस्सा है, जिसके बड़े हिस्से पर चीन और पाकिस्तान ने अवैध कब्जा जमा रखा है।
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