रूस से रिश्तों के कारण भारत गंवा सकता है खास दोस्त? यूक्रेन पर 'चुप्पी' क्यों पड़ रही भारी
वैश्विक कूटनीतिक हलकों में भारत की तारीफ की जाती है, मगर मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखें तो भविष्य में भारत के लिए परेशानी हो सकती है। इसके पीछे की वजह रूस के साथ भारत के रिश्ते हैं।
भारत ने दुनिया में कूटनीतिक रिश्ते कायम रखने में बेहद सकारात्मक भूमिका निभाई है। दुनिया के लगभग सभी शक्तिशाली देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। जी-7 समूह का सदस्य न होने के बावजूद भारत को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में इटली में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। वह वहां कई नेताओं के साथ एक ही फ्रेम में कैद हुए। तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी को दुनिया के लगभग सभी शक्तिशाली देशों के राष्ट्राध्यक्षों से शुभकामनाएं मिलीं। इनमें से कई लोग शपथ ग्रहण समारोह में भी मौजूद थे।
क्यों है भारत के लिए चिंता
हालांकि, वैश्विक कूटनीतिक हलकों में भारत की तारीफ की जाती है, मगर मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखें तो भविष्य में भारत के लिए परेशानी हो सकती है। इसके पीछे की वजह रूस के साथ भारत के रिश्ते हैं। रूस से दोस्ती भारत को खतरे में डाल सकती है! हाल ही में विभिन्न मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि इस बार जापान कुछ भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकता है। इससे भारत के व्यापार में नुकसान होने का खतरा है। जापान और भारत के बीच शुरू से ही अच्छे संबंध रहे हैं। भारतीयों के स्वतंत्रता संग्राम में मदद के लिए जो विदेशी शक्तियां आगे आईं, उनमें जापान ने अग्रणी भूमिका निभाई। इतिहास के पन्नों में ऐसी कई कहानियां लिखी हुई हैं।
आजादी के बाद भी जापान ने भारत की तरफ कई तरह से मदद का हाथ बढ़ाया है। कई जापानी कंपनियां भारतीय बाजार में सफलतापूर्वक कारोबार कर रही हैं। कई भारतीय कंपनियां भी जापान में कारोबार कर रही हैं। मगर अब जापानी सरकार उनमें से कुछ कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकती है। सुनने में आ रहा है कि रूसी प्रशासन और रूसी संगठनों से संबंध रखने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लग सकते हैं।
रूस 2022 से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। दो साल बीत चुके हैं, लेकिन युद्ध कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। कई देश के नेताओं ने युद्ध को रोकने के प्रयास किए हैं, लेकिन पुतिन अपनी मर्जी से टस से मस नहीं हो रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया है कि वह युद्धविराम की घोषणा कर सुलह की राह पर चल सकते हैं, लेकिन उस स्थिति में यूक्रेन को कुछ शर्तें माननी होंगी। उन शर्तों में से एक यह है कि यूक्रेन को नाटो सदस्य बनने का अपना सपना छोड़ देना चाहिए। हालांकि, यूक्रेन ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इधर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा के बाद से अमेरिका समेत यूरोप के देशों ने रूस को अलग-थलग कर दिया है और रूस पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं।
भारत के अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से भी अच्छे संबंध हैं। हालांकि, भारत का रुख रूस मुद्दे पर अलग है। रूस-यूक्रेन युद्ध की निंदा करते हुए भारत ने रूस के खिलाफ विरोध के स्वर कभी नहीं अपनाएं हैं। भारत ने रूस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है, यहां तक कि भारत ने हाल ही में यूक्रेन युद्ध पर स्विट्जरलैंड में आयोजित शांति बैठक में भाग तो लिया लेकिन संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर नहीं किये। कई लोगों का मानना है कि भारत ने रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया है।
क्यों है भारत के लिए ऐसी स्थिति
भारत देश के 60 प्रतिशत सैन्य उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर है। अगर रूस झुका तो भारत को खतरा हो सकता है। भारत न केवल सैन्य उपकरण, बल्कि तेल, उर्वरक जैसी महत्वपूर्ण वस्तुएं भी रूस से आयात करता है। कूटनीतिक हलकों का मानना है कि ऐसी स्थिति में भारत के लिए रूस के खिलाफ जाना मुश्किल है। वहीं जापान ने यूक्रेन युद्ध मुद्दे पर हमेशा रूस का विरोध किया है। विभिन्न मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि जापान सिर्फ रूस पर प्रतिबंध ही नहीं चाहता बल्कि जापानी प्रशासन ने अपना ध्यान उन देश के विभिन्न संगठनों पर केंद्रित कर दिया है जिनके संबंध रूस से हैं।
जापान कैसे लगा सकता है प्रतिबंध
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान सरकार के मुख्य सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि हाल ही में जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रतिबंधों को लेकर भारत पर चर्चा की गई थी। इसमें चीन, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और उज्बेकिस्तान की कंपनियों का जिक्र है। इनके खिलाफ कार्रवाई होने की उम्मीद है। हालांकि, जापान ने अभी तक आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध के बारे में कुछ नहीं कहा है। अगर जापान प्रतिबंध लगाता भी है तो वह भारत के खिलाफ नहीं है, बल्कि कुछ ही कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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