चीन में आ गई कोरोना की 'सुनामी', अकेले झेजियांग शहर में 10 लाख रोजाना केस
पूर्वी चीनी प्रांत झेजियांग शहर में रोजाना 10 लाख कोरोना केस सामने आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तो शुरुआत है, आने वाले कुछ दिनों में यह संख्या डबल हो सकती है।
corona cases in china: चीन में कोरोना की 'सुनामी' आ गई है। हाल ही में एक डेटा लीक हुआ था जिसमें यह दावा किया गया था कि चीन में पिछले 20 दिनों में 25 करोड़ कोरोना के केस आ चुके हैं। अब ताजा रिपोर्ट है कि पूर्वी चीनी प्रांत झेजियांग शहर में रोजाना 10 लाख कोरोना केस सामने आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तो शुरुआत है, आने वाले कुछ दिनों में यह संख्या डबल हो सकती है। देश में आपातकाल जैसे हालातों के बीच शी जिनपिंग सरकार कह रही है कि पिछले पांच दिनों में कोरोना से कोई भी मौत नहीं हुई है।
चीन में लगातार भयावह होते कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि बीजिंग में कोरोना को लेकर व्यापक बदलाव किए जाने के बाद संक्रमण बढ़ गया है। जीरो कोविड पॉलिसी के चलते करोड़ों लोगों पर लगाम लगाई गई थी और उन्हें घरों में कैद करके रखा गया था। क्योंकि अब पॉलिसी में छूट दे दी गई है तो संक्रमण में रफ्तार अप्रत्याशित है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, झेजियांग प्रशासन ने रविवार को बताया कि शहर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी बढ़ गई है। रोजाना 10 लाख केसों ने शहर की आबो-हवा को बिगाड़ दिया है। प्रशासन ने अंदेशा जताया है कि यह तो शुरुआत है, आने वाले दिनों में संक्रमण की संख्या दोगुना हो सकती है।
क्या हैं ताजा हालात
झेजियांग में सरकार ने कहा कि 13,583 संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है। प्रांत के अस्पतालों में एक मरीज में गंभीर लक्षण थे। चीन ने अपनी विफलता को छिपाने के लिए कोविड मौतों की रिपोर्टिंग के लिए डेटा सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी है। हालत यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी कोई डेटा प्राप्त नहीं हो पा रहा है। बीजिंग के बाद से नए COVID अस्पताल में भर्ती होने पर चीन ने अपनी ढील दी
नई लहर चीन को ले डूबेगा
अपनी जिद के चलते चीन की शी जिनपिंग सरकार दुनिया की बेहतर वैक्सीन लेने से मना कर रहा है। जिसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है। अनुमान है कि अगले साल शुरुआती तीन से चार महीनों में चीन में कोरोना महामारी प्रचंड होगी। लाखों की संख्या में लोगों की मौत का अनुमान भी है। लेकिन, चीनी सरकार पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। अस्पताल और श्मशान फुल हैं। अंतिम संस्कार के लिए शवों को इंतजार करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों को एक्ट्रा टाइम ड्यूटी करनी पड़ रही है।
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