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Hindi Newsविदेश न्यूज़China GDP below 3 percent in 2022 dragon economy punctured half of India GDP came down in 48 years - International news in Hindi

चीन की अर्थव्यवस्था हुई पंचर,भारत से भी आधी GDP की रफ्तार;48 साल में सबसे नीचे आई

फाइनेंशियल पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी ने चीन के विकास के पहिए को पंचर कर दिया है।अक्टूबर 2022 में IMF द्वारा प्रकाशित पूर्वानुमानों की तुलना में चीन की GDPवृद्धि में कमी आई है

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Jan 2023 09:29 AM
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China Economic Growth Rate: चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) के अनुसार,देश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि 3 प्रतिशत तक गिर गई है, जो कि 2022 में 5.5% के आधिकारिक लक्ष्य से बहुत कम है। चीन की इस सुस्त आर्थिक रफ्तार से दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी को बल मिल सकता है।

फाइनेंशियल पोस्ट के मुताबिक, दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2023 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के उप-प्रधानमंत्री लियू हे ने चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चिंताओं और चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि चीन पिछले पांच सालों से कठिन दौर से गुजर रहा है।

उन्होंने कहा,"पिछले पांच वर्षों में,हमने सभी प्रकार की अप्रत्याशित घटनाओं का अनुभव किया है, और दुनिया के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में गहरा परिवर्तन देखा है। इसलिए, इस वर्ष की वार्षिक बैठक का विषय 'एक खंडित विश्व में सहयोग'अधिक प्रासंगिक नहीं हो सकता है।"

फाइनेंशियल पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड -19 महामारी ने चीन के विकास के पहिए को पंचर कर दिया है। अक्टूबर 2022 में आईएमएफ द्वारा प्रकाशित पूर्वानुमानों की तुलना में चीन की जीडीपी वृद्धि में कमी आई है। आईएमएफ की भविष्यवाणी में चीन के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगभग 4.4 प्रतिशत की उम्मीद जताई गई थी। इसके पीछे 2021 में डॉलर के मुकाबले चीनी करंसी में तेज वृद्धि थी। लेकिन 1974 में जीडीपी ग्रोथ 2.3 प्रतिशत दर्ज होने के बाद से यह चीनी अर्थव्यवस्था की सबसे धीमी वृद्धि है।" यानी चीनी जीडीपी ग्रोथ पिछले 48 सालों में सबसे नीचे आ गई है।

गौरतलब है कि कोरोनावायरस की वजह से चीनी अर्थव्यवस्था बदहाल है। कोविड प्रतिबंधों की वजह से चीन की आर्थिक विकास दर प्रभावित हुई है। चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट भारत के अनुमानित वृद्धि दर सात फीसदी से करीब आधी से भी कम है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए अपना पूर्वानुमान 6.9 फीसदी तय किया है।
 

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