Hindi Newsविदेश न्यूज़South Korea lifts president martial law decree after lawmakers reject military rule

साउथ कोरिया ने 6 घंटे में वापस लिया मार्शल लॉ; सांसदों के विरोध के आगे पस्त हुए राष्ट्रपति

  • साउथ कोरिया ने देश में मार्शल लॉ लागू करने के 6 घंटे बाद इसे वापस लेने का फैसला किया है। इससे पहले राष्ट्रपति यून सूक येओल ने विपक्ष पर उत्तर कोरिया के इशारों पर चलने का आरोप लगाते हुए सैन्य शासन लागू करने का ऐलान किया था।

Jagriti Kumari एपी, सियोलWed, 4 Dec 2024 07:08 AM
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साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सूक येओल ने बुधवार सुबह देश में लगाए गए मार्शल लॉ को वापस ले लिया है। देश में फैसले के विरोध बड़ा प्रदर्शन होने के बाद कैबिनेट की बैठक के दौरान इस ओदेश को औपचारिक रूप से हटाने का फैसला किया गया। इससे पहले सैन्य शासन के विरोध में पूरे साउथ कोरिया में माहौल तनावपूर्ण बने हुए थे। इस बीच सांसदों ने यह फैसला लागू करने के लिए वोटिंग की थी जिसमें मतदान में हिस्सा लेने वाले सभी 190 सांसदों ने मार्शल लॉ वापस लेने के समर्थन में मतदान किया।

साउथ कोरिया में मार्शल लॉ लगभग छह घंटे तक प्रभाव में रहा। इससे पहले देश के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार देर रात मार्शल लॉ लागू कर दिया था। उन्होंने कहा था कि देश के विपक्षी दल देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं और नॉर्थ कोरिया के इशारों पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति के ऐलान के बाद से ही देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। नेशनल असेंबली के स्पीकर वू वोन शिक ने ऐलान किया कि कानून अमान्य है और सांसद लोगों के साथ लोकतंत्र की रक्षा करेंगे। राष्ट्रपति यून की अपनी रूढ़िवादी पार्टी के नेताओं ने इस कदम की आलोचना की। वहीं 300 सीटों वाली संसद में बहुमत रखने वाली उदारवादी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्यांग ने कहा कि पार्टी के सांसद तब तक विधानसभा के मुख्य हॉल में रहेंगे जब तक यून औपचारिक रूप से अपना आदेश वापस नहीं ले लेते।

मार्शल लॉ हटाने की घोषणा करते हुए भी यून ने सरकारी अधिकारियों और वकीलों सहित विपक्षी दलों पर उनके खिलाफ महाभियोग लाने की साजिश रचने का आरोप लगाया। वहीं कानून लागू होने के बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा के सामने इकट्ठा हो कर राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की मांग की। सांसदों के मतदान से पहले प्रदर्शनकारियों और सैनिकों के बीच झड़प भी हुई।

दक्षिण कोरिया के संविधान के तहत राष्ट्रपति युद्ध के समय, युद्ध जैसी स्थितियों या अन्य किसी राष्ट्रीय आपातकालीन स्थितियों के दौरान मार्शल लॉ की घोषणा कर सकते हैं। इसके ऐलान के बाद शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बल का प्रयोग किया जा सकता है। प्रेस की आजादी भी छीन ली जाती है।

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