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दुबई होते हुए आ रहा पाकिस्तान से सामान, पर भारत से कारोबार नहीं; बांग्लादेश में बढ़ती जा रही नफरत

  • इसी सप्ताह बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज पहुंचा, जो कराची से निकला था और दुबई होते हुए आया। बीते कुछ दिनों में यह दूसरा जहाज है, जो पाकिस्तान से बांग्लादेश की जलसीमा में दाखिल हुआ। इस जहाज में 811 कंटेनर थे, जिनमें जरूरी औद्योगिक सामान थे।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, ढाकाMon, 23 Dec 2024 06:04 PM
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बांग्लादेश में सत्ता बदलने के बाद से माहौल में भी बड़ा अंतर आ गया है। कभी भारत को करीबी दोस्त मानने वाले बांग्लादेश में अब पाकिस्तान के लिए हमदर्दी है। यहां तक कि पाकिस्तान से दुबई के रास्ते कारोबार किया जा रहा है, लेकिन भारत से आयात पर परहेज किया जा रहा है। बांग्लादेश में बढ़ता यह नया ट्रेंड चिंताजनक है। इसी सप्ताह बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज पहुंचा, जो कराची से निकला था और दुबई होते हुए आया। बीते कुछ दिनों में यह दूसरा जहाज है, जो पाकिस्तान से बांग्लादेश की जलसीमा में दाखिल हुआ। इस जहाज में 811 कंटेनर थे, जिनमें जरूरी औद्योगिक सामान जैसे सोडा एश, डोलोमाइट, मार्बल ब्लॉक्स, चीनी, कपड़ों के लिए कच्चा माल, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स आदि शामिल थे।

इस्लामिक देशों की डी-8 समिट में मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की मुलाकात हुई थी। उसके अगले दिन ही यह जहाज बांग्लादेश पहुंचा। यह एक संयोग ही है, लेकिन समिट से इतर भी दोनों की मुलाकात हुई और रिश्तों को मजबूत करने पर सहमति बनी। इस बीच इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश के कारोबारियों पर सरकारी एजेंसियों से दबाव डाला जा रहा है कि वे भारत की बजाय पाकिस्तान से कारोबार करें। यही नहीं हालात यह है कि बांग्लादेश के शिपिंग मिनिस्ट्री में इस बात पर विचार चल रहा है कि भारत के जहाजों को चटगांव और मोंगला पोर्ट तक एंट्री की इजाजत को खत्म किया जाए या नहीं।

चटगांव बंदरगाह भारत के लिहाज से रणनीतिक रूप से अहम बंगाल की खाड़ी में स्थित है। शेख हसीना सरकार के दौर में भारत यहां से कारोबार करता रहा है तो वहीं संवेदनशील मामलों में भी उसे मदद मिली है। उसने 2004 में एक बार चीनी हथियारों से भरे 1500 डिब्बे यहां से बरामद किए थे। ऐसे में इस पोर्ट तक यदि पाकिस्तान की पहुंच बनी और भारत पर रोक लगी तो फिर यह रणनीतिक लिहाज से चिंता की बात होगी। 2004 में पकड़े गए हथियारों को लेकर सरकार का मानना था कि शायद आईएसआई की ओर से इन्हें भेजा गया, जो उल्फा जैसे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को दिए जाने थे। बता दें कि पूर्वोत्तर भारत, पंजाब, जम्मू-कश्मीर समेत कई हिस्सों में अलगाववादी संगठनों को बढ़ावा देने और आतंकवाद फैलाने में पाकिस्तानी एजेंसी का रोल रहा है।

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अब बांग्लादेश के साथ बढ़ते उसके रिश्तों ने फिर से इन चिंताओं को बढ़ा दिया है। अकेले पाकिस्तान ही नहीं बल्कि फिलहाल मजबूत हुए बांग्लादेश के इस्लामिक चरमपंथी भी पूर्वोत्तर भारत में हालात बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। बता दें कि सितंबर में ही बांग्लादेश ने वह नियम खत्म कर दिया था, जिसके तहत पाकिस्तानी जहाजों की फिजिकल चेकिंग जरूरी थी। इससे अवांछित सामान के पहुंचने की राह आसान हो गई है।

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