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सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने पर तुली पाकिस्तानी सरकार, बदलने जा रही संविधान

  • पाकिस्तान की सरकार अब न्यायपालिका की ताकत भी कम करने जा रही है। शहबाज शरीफ की सरकार ने संविधान संशोदन के लिए प्रस्ताव तैयार किए हैं। विपक्षी पीटीआई इसका कड़ा विरोध कर रही है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानTue, 17 Sep 2024 09:13 AM
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सेना के दबाव में चलने वाली पाकिस्तान की सरकार अब न्यायपालिका को भी कमजोर करने पर तुली हुई है। संविधान में संशोधन के प्रस्ताव को लेकर सरकार और विपक्ष में टकराव जारी है। जेल में बंद इमरान खान की अगुआई वाला विपक्ष इन संशोधनों का विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि संशोधन का प्रस्ताव ना तो मीडिया को दिया गया है और ना ही विपक्ष के साथ साझा किया गया है।

संविधान में क्या बदलाव करना चाहता है पाकिस्तान

पाकिस्तान के विपक्ष के बयानों और स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक संविधान में बदलाव के लिए 50 प्रस्ताव रखे गए हैं। इसमें न्यायपालिका को लेकर भी प्रस्ताव शामिल है। इस प्रस्ताव में जजों की रिटारमेंट की उम्र 65 से बढ़ाकर 68 साल करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा संवैधानिक अदालत में जज तीन साल से ज्यादा सेवा नहीं दे सकते हैं। वहीं अन्य अदालतों में नियुक्त जजों पर कार्यकाल के लिमिट नहीं निर्धारित की गई है।

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि संवैधानिक कोर्ट में जजों की नियुक्त राष्ट्रपति करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री के की सिफारिश के बाद ही नियुक्ति हो सकेगी। फिलहाल पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में जूडिशनल कमिशन जजों की नियुक्ति करता है। वहीं हाई कोर्ट के सीनियर जजों की नियुक्ति् सुप्रीम कोर्ट में की जाती है। संसदीय समिति नामों पर मुहर लगाती है।

2022 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अगर कोई एक नेता अपनी पार्टी लाइन से हटकर संसद में वोट करता है तो उसकी गिनती नहीं की जाएगी। नए प्रस्तावों में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलटने की भी बात कही गई है। पाकिस्तान में संवैधानिक संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है। यह बहुमत दोनों ही सदनों में होना चाहिए। वहां के निचले सदन में 336 सीटं हैं। वहीं उच्च सदन में कुल 96 सीटें हैं। ऐसे में सरकार को नेशनल असेंबली में 224 और सीनेट में 64 वोटों की जरूरत है।

शरीफ सरकार के पास नेशनल असेंबली में 214 ही वोट हैं। इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल पार्टी से 8 का समर्थन हासिल करना चाहती है। यह पार्टी शरीफ सरकार के गठबंधन में नहीं शामिल है। वहीं सीनेट मे सरकार के पास 57 की संख्या है और सात की और जरूरत है। आरोप है कि सरकार कि सरकार विपक्ष को खत्म करने के लिए ये संशोधन कर रही है।

पीटीआई नेताओं के मुताबिक शरीफ की सरकार मौजूदा चीफ जस्टिस काजी फैज इसा को रोकना चाहती है। इसके लिए संविधान में संशोधन किए जा रहे हैं। वहीं विपक्ष का कहना है कि पाकिस्तान न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला कर रही है। जो भी बदलाव किए जा रहे हैं उनका उद्देश्य है कि पीटीआई को बैन कर दिया जाए और इमरान खान को मिलिट्री कोर्ट भेज दिया जाए।

इमरान खान को पिछले साल अगस्त में जेल भेजा गया था। उनपर दंगा भड़काने, सरकारी और सेना की इमारत पर हमला करवाने का आरोप है। जानकारों का कहना है कि अगर ये संवैधानिक संशोधन हो गए तो कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन खत्म हो जाएगा। वहीं ये बदलाव ऐसे समय में प्रस्तावित किए गए हैं जब चीफ जस्टिस अगले महीने रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में इसका उद्देश्य अगले चीफ जस्टिस की नियुक्ति को रोकना है। वहीं अगर ये संशोधन पास हो जाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां कम हो जाएंगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट की ताकत संवैधानिक कोर्ट को शिफ्ट हो जाएंगी। इसमें राजनीतिक दल पर बैन लगाना, संघ और प्रांतीय सरकार के मामलों को हैंडल करना शामिल होगा।

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