भारत से पंगा लेकर कहीं का नहीं रहा मालदीव, खुद मुइज्जू को कम करनी पड़ी 50% अपनी सैलरी
- मुइज्जू का वार्षिक वेतन अगले साल से घटाकर 600,000 रुफिया ($39,087) कर दिया जाएगा। जजों और सांसदों को कटौती से छूट दी जाएगी। हालांकि मुइज्जू के कार्यालय ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे स्वेच्छा से 10 प्रतिशत की कटौती पर सहमत होकर बोझ साझा करेंगे।
India Maldives News: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में भारत से जमकर पंगा लिया, जिसका असर अब देखने को मिल रहा है। मालदीव की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि खुद मोहम्मद मुइज्जू को सैलरी को 50 फीसदी कम करना पड़ रहा है। इसके अलावा, मालदीव के कई अन्य सरकारी कर्मचारियों की भी सैलरी कम करने का फैसला लिया गया है। पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति पद के चुनाव के समय मुइज्जू ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था और चुनाव जीतते ही भारतीय सेना को वापस भेज दिया था। यही वजह थी कि द्वीप देश में भारतीय पर्यटकों की संख्या में तेजी से कमी आती गई और आर्थिक हालात खराब हो गए। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में मुइज्जू ने अपना चीन प्रेम छोड़कर भारत से संबंध ठीक करने पर जोर दिया है।
विभिन्न देशों से लिए गए कर्ज के तले दबे मालदीव की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। इसी संकट से उबरने के लिए मुइज्जू ने सैलरी कम करने का फैसला लिया। मुइज्जू ने साल 2025 के बजट के हिस्से के रूप में प्रस्तावित अपनी सरकार के आर्थिक सुधार एजेंडे के उपायों की घोषणा की। मुइज्जू के ऑफिस ने एक बयान में उनके कार्यालय ने एक बयान में कहा, ''शुरुआती कदम के रूप में राष्ट्रपति ने कहा कि वह अपने वेतन का 50 प्रतिशत नहीं लेंगे।'' एक सरकारी सूत्र ने न्यूज एजेंसी 'एएफपी' को बताया कि मुइज्जू का वार्षिक वेतन अगले वर्ष से घटाकर 600,000 रुफिया ($39,087) कर दिया जाएगा। जजों और सांसदों को कटौती से छूट दी जाएगी। हालांकि मुइज्जू के कार्यालय ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे स्वेच्छा से 10 प्रतिशत की कटौती पर सहमत होकर बोझ साझा करेंगे।
दो सप्ताह पहले मुइज्जू ने खर्चे को कम करने के प्रयास में मंत्रियों सहित 225 से अधिक राजनीतिक नियुक्तियों को बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्त किए गए लोगों में सात राज्य मंत्री, 43 उप मंत्री और 178 राजनीतिक निदेशक शामिल थे। इस कदम से देश को हर महीने लगभग 370,000 डॉलर की बचत होने की उम्मीद है। मालदीव ने सितंबर में कहा था कि उसकी वित्तीय परेशानियां अस्थायी हैं और संभावित संप्रभु डिफ़ॉल्ट की चेतावनियों के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट लेने की उसकी कोई योजना नहीं है। मालूम हो कि भारत लगातार मालदीव को कर्ज देकर मदद करता रहा है, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने भारत के बजाए चीन से अपनी नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी थीं। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव भी बढ़ गया था।
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