Hindi Newsविदेश न्यूज़Like Sunita Williams, Kalpana Chawla was trapped in space, the end was tragic Know the whole story

अंतरिक्ष में फंसीं सुनीता विलियम्स ने दिलाई कल्पना चावला की याद, दुखद रहा था अंत; जानिए पूरी कहानी

  • Sunita Williams :भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स इस समय स्पेस में फंसी हुई हैं। सुनीता के अंतरिक्ष में फंसने की इस घटना ने भारतीय मूल की एक और अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के दुखद अंत की यादों को फिर से ताजा कर दिया है, जिनकी धरती पर वापसी की यात्रा एक त्रासदी में बदल गई थी।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानSun, 25 Aug 2024 01:39 PM
share Share

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी विल्मोर अंतरिक्ष में फंस गए हैं। फ्लोरिडा से अपने स्टारलाइनर अंतरिक्षयान से उड़े दोनों यात्री 7 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे। उनका मिशन केवल 8 दिनों का था लेकिन यान में आई खराबी के चलते उनकी धरती पर वापसी को फरवरी 2025 तक के लिए टाल दिया गया है। नासा की तरफ से कहा गया है कि इन दोनों को अब एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए वापस धरती पर लाया जाएगा लेकिन इसमें चार से पांच महीने का समय लगने की संभावना है। सुनीता और विल्मोर फिलहाल अंतरिक्ष स्टेशन में ही हैं और उनके यान की मरम्मत का काम चल रहा है।

 हालांकि यह सुनीता विलियम्स की पहली अंतरिक्ष यात्रा नहीं है उन्हें पहले से ही अंतरिक्ष का अच्छा खासा अनुभव है वह 1998 में नासा के लिए चुनी गई थी और वह स्टारलाइनर में सफर करने से पहले 322 दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी है। वह एक पूर्व अमेरिकी नौसैनिक अधिकारी है और सबसे अधिक बार स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के पास है। लेकिन फिर भी उनके स्पेस में फंसने की इस घटना ने सभी भारतीयों और अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लोगों को भारत की एक और बेटी "कल्पना चावला" की याद दिला दी है।

आग के गोले में बदल गया था कल्पना का अंतरिक्ष यान

1 फरवरी 2003 को नासा का कोलंबिया यान अंतरिक्ष से वापस धरती पर आ रहा था, पृथ्वी से केवल 16 मिनट की दूरी पर एक धमाका होता है और देखते ही देखते कोलंबिया स्पेस शटल एक आग के गोले में तब्दील हो जाता है। जमीन पर मौजूद लोगों को वह आसमान से आते एक बड़े आग के गोले के समान दिखाई देता है। इस घटना में भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला समेत सभी 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो जाती है। 

हरियाणा की कल्पना कैसे पहुंची अंतरिक्ष में

कल्पना चावला 17 मार्च 1962 में हरियाणा के करनाल में पैदा हुई थीं, अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी कल्पना को आसमान हमेशा से ही रोमांचित करता था, इसलिए जब करियर चुनने की बारी आई तो कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल में अपनी बैचलर्स की डिग्री पूरी की, उस समय एयरोनॉटिकल में इंजीनियरिंग करने वाली वह अकेली लड़की थीं। कल्पना की लगन देखकर परिवार भी उनको और पढ़ाने के लिए राजी हो गया। 1982 में वह अमेरिका चली गईं। अमेरिका में कल्पना ने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से एयरोऩटिकल स्पेस इंजीनियरिंग में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की। इसी दौरान कल्पना ने फ्रांस के जीन पियरे हैरिसन से शादी कर ली। लेकिन कल्पना की आसमान की उड़ान ने उन्हें रुकने नहीं दिया कुछ ही सालों में उन्होंने अपनी पीएचडी भी पूरी कर ली। पीएचडी पूरी होने के साथ ही कल्पना को नासा में काम करने का मौका मिला लेकिन उनकी नागरिकता उनके सपने के बीच में खड़ी थी। 1991 में कल्पना ने भारत की नागरिकता को छोड़कर अमेरिका की नागरिकता ले ली, और फिर तीन साल बाद उनकी मेहनत सफल हुई और उन्हें अंतरिक्ष की यात्रा के लिए चुन लिया गया।

अंतरिक्ष की पहली उड़ान

कल्पना के बुलंद हौंसलों और उनकी अंतरिक्ष में रुचि के साथ-साथ काबिलियत को देखते हुए नासा ने उन्हें अपने पहले स्पेस मिशन के लिए प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में नियुक्त कर लिया। 1997 में कल्पना अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुनी गई और 19 नवंबर 1997 को वह अपने 6 अंतरिक्ष यात्रियों वाले दल के साथ अपनी पहली उड़ान के लिए उड़ चलीं। इस उड़ान के साथ ही कल्पना, अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला और दूसरी व्यक्ति बनीं, इससे पहले भारत के राकेश शर्मा सोवियत संघ की मदद से अंतरिक्ष में जा चुके थे। अंतरिक्ष में पहुंची कल्पना ने अपने मिशन के दौरान कल्पना ने 365 घंटों में पृथ्वी के 252 चक्कर लगाकर सुरक्षित वापस धरती पर आ गईं।

दूसरी उड़ान मौत तक खींच कर ले गई

साल 2000 में कल्पना को उनके दूसरे स्पेस मिशन के लिए चुना गया। इस मिशन में उन्हें एक विशेषज्ञ के तौर पर शामिल किया गया। लेकिन खराबियों और तमाम तकनीकी समस्याओं के कारण यह मिशन लगातार आगे खिसकता गया, लेकिन 16 जनवरी 2003 को कल्पना अपने सात सदस्यीय दल के साथ एसटीएस 107 पर सवार होकर अंतरिक्ष में पहुंच ही गईं। क्रू ने मिलकर कई रिसर्च किए और जानकारी को नासा स्टेशन तक पहुंचाया। लगभग 16 दिन तक अंतरिक्ष में रहने के बाद जब यह विमान 1 फरवरी 2003 को वापस धरती की तरफ बढ़ रहा था तो 16 मिनट की दूरी पर यह क्रैश हो गया और सभी अंतरिक्ष यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई।

क्या रही इस हादसे की दर्दनाक वजह

इस हादसे के बाद नासा ने अगले दो सालों तक अंतरिक्ष यात्रा पर बैन लगा दिया। इस हादसे की जांच में पता चला कि फोम का एक टुकड़ा शटल के बाहरी टैंक से टूटकर यान के विंग को जा लगा, जिससे विंग में एक छेद हो गया। तेजी से धरती पर वापस आते कोलंबिया स्पेस शटल में गैसे भरनें लगी और इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता सभी यात्रियों की 15 सेकेंड़ के अंदर मौत हो गई।

कल्पना के अंतरिक्ष में अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए नासा ने अपने एक कंप्यूटर का नाम उनके ऊपर रखा, भारत के इसरो ने भी उनका सम्मान करते हुए मौसम संबंधी उपग्रहों के नाम उन्हीं के नाम पर रखे हैं।

 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेख