डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से पहले ईरान और अमेरिका में क्यों ठनी, एक-दूसरे पर मुकदमा; महासंग्राम के आसार
- डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से पहले ईरान और अमेरिका में ठन गई है। पहले ईरानी अदालत ने अमेरिका के खिलाफ फैसला सुनाया, फिर अमेरिकी अदालत में ईरान के खिलाफ मुकदमा हुआ है।
अमेरिका में आगामी 20 जनवरी को नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी है, लेकिन इससे पहले ईरान ने झटका दे दिया है। शनिवार को ईरान की एक अदालत ने अमेरिकी सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया। इराक और सीरिया में अमेरिका समर्थित आतंकी समूहों से लड़ते हुए मारे गए ईरानियों के परिवारों को अरबों डॉलर मुआवजा देने का आदेश दिया है। वहीं, जवाब में हमास आतंकियों के हाथों मारे गए अमेरिकियों के परिवारों ने अदालत में ईरान, हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। मामले में सुनवाई शुरू भी हो गई है। दोनों देशों में इस तरह के कदमों ने नए महासंग्राम के आसार पैदा कर दिए हैं।
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास आतंकियों ने इजरायली धरती में भीषण नरसंहार किया था। इस हमले में 1200 से अधिक लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में कई अमेरिकी लोग भी थे। हाल ही में हमास के हमलों को लेकर गुप्त दस्तावेज लीक हुए थे। दस्तावेजों के अनुसार, हमास ने इजरायल पर हमले के लिए ईरान से आर्थिक मदद ली थी। इसमें हिजबुल्लाह की संलिप्तता के भी सबूत हैं। टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी पीड़ितों के परिवारों ने ईरान और उससे जुड़े कई आतंकवादी समूहों के खिलाफ अमेरिकी संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। पीड़ित पक्ष के एक वकील के अनुसार, हमले में तेहरान की भागीदारी का नया सबूत पेश किया गया है।
दस्तावेजों में क्या है
वादी पक्ष के वकीलों के अनुसार, सबूत वकील गैरी ओसेन द्वारा उजागर किए गए गुप्त दस्तावेजों पर आधारित है। इससे पता चलता है कि ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर हमास को लाखों डॉलर दे रही थी। शिकायत में हमास के वरिष्ठ सदस्यों याह्या सिनवार, खलील अल-हय्या और अन्य लोगों की 2022 की बैठक का एक दस्तावेज भी शामिल है, जिसमें युद्ध छिड़ने की स्थिति में हमास और अन्य ईरान समर्थित समूहों के बीच आपसी रक्षा समझौते की रूपरेखा तैयार की गई थी। इस दस्तावेज में ईरान से हमास को हर महीने 7 मिलियन डॉलर भेजने का अनुरोध करने का निर्णय शामिल है, ताकि "टकराव के लिए तैयार हो सकें और लामबंद हो सकें।"
मुकदमे में अमेरिकी सहयोगियों का नाम नहीं
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार , 7 मिलियन डॉलर की मासिक राशि 7 अक्टूबर के हमले की तैयारी के लिए मांगी गई थी। ईरान और आईआरजीसी के अलावा, मुकदमे में हमास, हिजबुल्लाह, इस्लामिक जिहाद और फिलिस्तीन मुक्ति मोर्चा का भी नाम है। हालांकि दस्तावेजों में कतर और तुर्की से हमास को मिलने वाली फंडिंग का जिक्र है, लेकिन मुकदमे में अमेरिका के किसी भी सहयोगी का नाम नहीं है। इसके अलावा यमन के हूती विद्रोहियों का भी नाम नहीं है, जिन्हें बाइडेन प्रशासन ने अमेरिका की आतंकी ब्लैक सूची से हटा दिया है।
मुकदमे में शामिल 37 पीड़ित परिवारों में येचिएल लीटर भी शामिल हैं, जो अमेरिका में इजरायल के राजदूत बनने वाले हैं। लीटर के बेटे मोशे लीटर की नवंबर 2023 के अंत में गाजा में लड़ाई में मौत हो गई थी।
ईरानी अदालत ने अमेरिका के खिलाफ सुनाया फैसला
इससे पहले ईरान की एक अदालत ने शनिवार को फैसला सुनाया कि अमेरिका को इराक और सीरिया में "अमेरिका समर्थित आतंकवादी समूहों" से लड़ते हुए मारे गए ईरानियों के परिवारों को 48.86 अरब अमेरिकी डॉलर का मुआवजा देना होगा। अर्द्ध-सरकारी फ़ार्स समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला न्यायाधीश माजिद हुसैनजादेह की अदालत ने लिया। मारे गए व्यक्तियों के परिवारों के 700 सदस्यों द्वारा दायर शिकायतों की दो सत्रों में सुनवाई हुई थी।
इस फैसले के तहत, अमेरिका को प्रत्येक वादी को 10 मिलियन डॉलर यानी कुल 6.98 बिलियन डॉलर देने होंगे। अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि अमेरिका को दंडात्मक हर्जाने के रूप में 27.92 बिलियन डॉलर का भुगतान करना चाहिए।
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