इजरायल की कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में छा गए 16 हजार भारतीय, फिलिस्तीनी हो गए बेरोजगार
- 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद से ही फिलिस्तीनियों की इजरायल में एंट्री बैन कर दी गई। ऐसे में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी बेरोजगार हो गए। वहीं इजरायल में केवल कन्सट्रक्शन सेक्टर में 16 हजार भारतीय काम कर रहे हैं।
इजरायल पर हमास के हमले के बाद यहूदी देस ने फिलिस्तीनियों की कमर तोड़कर रख दी है। गाजा में इजरायल लगातार हमले कर रहा है। यहां हमलों से ज्यादा भुखमरी से मौत होने लगी हैं। वहीं वेस्टलैंड और गाजा से इजरायल में काम करने जाने वाले लोगों के रोजगार छिन गए। 7 अक्टूबर को हमास के आतंकियों के हमले के बाद इजरायल में फिलिस्तीनियों की एंट्री पर बैन लगा दिया गया। वहीं कार्यस्थलों पर उनकी जगह अन्य देशों के लोगों ने ले ली। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक केवल निर्मााण क्षेत्र में 16000 भारतीय कामगारों को नौकरी मिली है।
अगर हमास ने हमला ना किया होता तो बड़ी संख्या में फिलिस्तीनीयों ने ही इजरायल की इमारतों को खड़ा किया होता। लेकिन 7 अक्टूबर के बाद इजरायल ने गाजा में तबाही शुरू कर दी। उधर लेबनान का हिजबुल्लाह, यमन के हूती विद्रोही और ईरान भी हमास की मदद के लिए उतर पड़े। भारत से इजरायल में काम करने पहुंचे एक शख्स ने कहा, यहां डरने की कोई जरूरत नहीं है। यहां हवाई हमलों की चेतावनी जारी की जाती है लेकिन उनके रहने के लिए सुरक्षित स्थान मुहैया करवाया गया है।
क्यों हजारों किलोमीटर दूर मजदूरी करने जाते हैं लोग
भारत से लोग इजरायल में मजदूरी करने के लिए भी जाते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि इजरायल की पर कैपिटा इनकम ज्यादा है। ऐसे में वहां मजदूरी भी यहां की तीन गुनी है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्य्वस्था है। इसके बाद भी यहां रोजगार की कमी है।
दशकों से इजरायल में भारतीय बड़ी संख्या में काम करने के लए जाते हैं। हीरे का काम या फिर आईटी क्षेत्र में काम करने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय इजरायल जाते थे। हालांकि गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद अब कन्सट्रक्शन सेक्टर में भी इजरायल खूब भारतीयों की भर्ती कर रहा है। दिल्ली के डायनमिक स्टाफिंग सर्विस के चेयरमैन समीर खोसला ने कहा कि उन्होंने 30 देशों में 5 लाख भारतियों को भेजा है। अब इजरायल भी एक बड़ा बाजार बन गया है और 3500 कर्मचारी इजरायल भी भेजे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इजरायल में 10 हजार कुशल कामगारों की जरूरत है।
इजरायल में काम करने वाले सुरेश कुमार वर्मा ने बताया कि उनके लिए पैसे सबसे ज्यादा जरूरी हैं। इजरायल के जानकारों का कहना है कि जितने फिलिस्तीनी इजरायल में काम करते थे, उनके बराबर कामगार अब भी नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में निर्माण क्षेत्र का काम स्लो हो गया है। हमास के हमले से पहले 80 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी कन्स्ट्रक्शन के काम में लगे हुए थे। इसमें 26 हजार अन्य विदेशी भी थे। अब इस काम में 30 हजार से ज्यादा विदेशी कामगार हैं। इनमें 16 हजार भारतीय हैं। इसके बाद भी फिलिस्तीनियों की कमी पूरी नहीं हो पाई है।
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