Hindi Newsविदेश न्यूज़in search of alien NASA Launches Europa Clipper on Jupiter Moon mission

एलियन की तलाश में रवाना हुआ नासा का अंतरिक्ष यान, क्या है ‘मिशन यूरोपा’

नासा ने एलियन की तलाश के लिए एक नया मिशन बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा पर लांच कर दिया है। ‘यूरोपा’ पर छिपे विशाल महासागर में जीवन के लिए उपयुक्त हालात को तलाशने नासा का एक अंतरिक्ष यान रवाना हो चुका है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, वॉशिंगटनTue, 15 Oct 2024 12:19 PM
share Share

क्या धरती से इतर भी किसी ग्रह पर जीवन है? क्या एलियन का अस्तित्व है, जो ब्रह्मांड में कहीं रहते हैं? यह सवाल लगातार उठता रहा है। मंगल पर इसको लेकर वैज्ञानिक खोज चल रही है। इस बीच नासा ने एलियन की तलाश के लिए एक नया मिशन बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा पर लांच कर दिया है। ‘यूरोपा’ पर छिपे विशाल महासागर में जीवन के लिए उपयुक्त हालात को तलाशने नासा का एक अंतरिक्ष यान रवाना हो चुका है। ‘यूरोपा क्लिपर’ यहां पर एलियन की तलाश बृहस्पति तक पहुंचने में साढ़े पांच साल लगेंगे। आइए जानते हैं आखिर क्या है मिशन यूरोपा और कैसे होगी एलियन की तलाश...

ऐसा है मिशन
नासा का अंतरिक्ष यान ‘यूरोपा क्लिपर’ गैस के विशाल ग्रह बृहस्पति के चारों ओर की कक्षा में प्रवेश करेगा। दर्जनों विकिरण-युक्त किरणों से गुजरता हुआ यूरोपा के करीब पहुंचेगा। वैज्ञानिकों को यकीन है कि यूरोपा की बर्फीली परत के नीचे एक गहरा वैश्विक महासागर मौजूद है, जहां पानी और जीवन हो सकता है। ‘स्पेसएक्स’ ने यान को रवाना किया, जो 18 लाख मील की यात्रा तय करेगा। इस यान को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से प्रेक्षपित किया गया। इस मिशन में 5.2 बिलियन डॉलर की रकम खर्च होने वाली है। यह रॉकेट 2030 तक यूरोपा तक पहुंचेगा। मिशन के दौरान यह यूरोपा की सतह के 16 मील करीब तक पहुंचेगा। स्पेसक्राफ्ट वहां पर लैंड तो नहीं करेगा, हालांकि चार साल तक के कार्यकाल में यह करीब 50 बार इसके पास से गुजरेगा।

इन चीजों से लैस
यूरोपा पर जीवन या जीवन की संभावनाओं की तलाश में गया स्पेसक्राफ्ट कई इक्विपमेंट्स से लैस है। इसमें स्पेक्टोमीटर लगा है जो यूरोपा के सतह की कंपोजीशन नापेगा। इसमें एक थर्मल कैमरा भी है जो वहां पर ऐक्टिविटीज के हॉट स्पॉट्स को ढूंढेगा। यह यूरोपा की मैग्नेटिक फील्ड और ग्रैविटी के बारे में पता लगाएगा। इससे बर्फ की चट्टान मोटाई और महासागर की गहराई का पता लगेगा। अगर मिशन यूरोपा के दौरान वहां जीवन को सपोर्ट करने वाली चीजों के बारे में पता चल जाता है तो भविष्य में इसके बारे में गहराई से रिसर्च होगी। इसके लिए एडवांस मिशन लांच किया जाएगा।

कितना बड़ा स्पेसयान
यूरोपा क्लिपर नासा द्वारा लांच किया गया अब तक का सबसे बड़ा मिशन है। इसकी मेन बॉडी किसी एसयूवी के आकार की है। वहीं, इसमें 100 फीट से भी बड़े सोलर पैनल लगे हैं जो बास्केटबॉल कोर्ट से भी बड़े हैं। स्पेसक्राफ्ट के इलेक्ट्रॉनिक्स में एल्यूमिनियम-जिंक का वॉल्ट रखा गया है जो इसे ज्यूपिटर के खतरनाक रेडिएशन से बचाएगा।

क्या है ‘यूरोपा’
वैज्ञानिकों के मुताबिक यूरोपा पर 10 से 20 मील मोटा बर्फ का महासागर है। उन्हें यकीन है कि धरती के सभी समुद्रों को मिलाकर जितना पानी है, उससे दोगुना पानी यूरोपा में है। यूरोपा पर ज्वालामुखी फटने का अनुमान है और इसी बात ने वैज्ञानिकों को वहां पर जीवन होने की आशा बंधाई है। हालांकि यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान को जीवन की तलाश के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। इसका मकसद ज्यूपिटर के चंद्रमा पर केमिकल कंपोजीशन, जियोलॉजिक ऐक्टिविटी, ग्रैविटी, मैग्नीशियम और अन्य चीजों के बारे में जानकारी जुटाना है। इससे यह पता चलेगा कि क्या यूरोपा पर जीवन को सपोर्ट करने लायक हालात हैं।

यूरोपा का पता कब चला
यूरोपा का सबसे पहले पता साल 1610 में गैलीलियो गैलीली ने लगाया था। तब इसके साथ बृहस्पति के तीन अन्य बड़े चंद्रमा, गैनीमेड, कैलिस्टो और लो का पता चला था। इसका आकार लगभग हमारे चंद्रमा जैसा ही है और बृहस्पति का दूसरा सबसे नजदीकी चंद्रमा है। इसकी सतह बर्फ की सतह के नीचे पानी के लिए बेहद अनुकूल है। 1950 और 1960 में अंतरिक्षयात्रियों ने कुछ खास टेलीस्कोप्स की मदद से पता लगाया कि यूरोपा की सतह के नीचे बर्फीला पानी है। 1970 की शुरुआत में पाइनियर 10 और पाइनियर 11 स्पेसक्राफ्ट सबसे पहले ज्यूपिटर पर पहुंचे थे। बाद में वोएजर 1 और 2 ने 1979 में यहां की यात्रा की। वोएजर 2 की तस्वीरों ने खुलासा किया कि इसकी सतह पर दरारे हैं। दिसंबर 1997 में गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट यूरोपा के करीब 124 मील तक पहुंचा। इसमें यहां पर बर्फ के नीचे दबे पानी की पुष्टि हुई।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें