Hindi Newsविदेश न्यूज़fierce animosity between US and Russia then why Russian thinkers supporting Trump proposal to buy Greenland

US-रूस में कट्टर दुश्मनी, फिर रूसी चिंतक ट्रंप के ग्रीनलैंड खरीद प्रस्ताव का क्यों कर रहे समर्थन

ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच स्थित है। यह 80 प्रतिशत बर्फ की चादर से ढका हुआ है और यहां एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, मॉस्कोWed, 25 Dec 2024 03:12 PM
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड और पनामा नहर को खरीदने को लेकर गंभीर हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि अमेरिका एक ऐसा साम्राज्य है जो अगर विकसित नहीं हुआ तो ढह जाएगा। ट्रंप ने इन दोनों पर अमेरिकी कब्जे का प्रस्ताव दिया है। इससे पूरे, यूरोप समेत कई देशों में हलचल है। इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबियों और रूसी मीडिया की हस्तियों ने ट्रंप के ग्रीनलैंड खरीदने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। रूसी टीवी चैनल रूस-1 पर व्लादिमीर सोलोविओव के साथ अपने इवनिंग शो में कार्यक्रम के होस्ट और दिग्गज मीडियाकर्मा व्लादिमीर सोलोविओव और अन्य लोगों ने ट्रम्प के ग्रीनलैंड खरीदने के विचार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और उस कदम का समर्थन किया है।

अपने शो में सोलोविओव और उनके मेहमानों ने ग्रीनलैंड खरीदने के ट्रम्प के प्रस्ताव की खूब सराहना की। सोलोविओव के साथ-साथ एक अन्य मीडिया दिग्गज सर्गेई मिखेयेव ने कहा कि ट्रम्प का प्रस्ताव अमेरिकी मानसिकता के अनुरूप है जिसे उनके पहले के राष्ट्रपतियों ने छिपाने की कोशिश की है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अमेरिका और रूस में कट्टर दुश्मनी है तो पुतिन के करीबी और समर्थक हस्तियां ट्रंप के इस दांव का समर्थन क्यों कर रही हैं। दरअसल, ग्रीनलैंड पर अमेरिका के कब्जे से मास्को को क्षेत्रीय लाभ की कोशिशों को बल मिल सकता है क्योंकि वह फिलहाल यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहा है। अभी ग्रीनलैंड पर यूरोपीय देश डेनमार्क का कब्जा है और वहां स्वायत्त शासन है।

ग्रीनलैंड खरीदने के पीछे ट्रम्प की मंशा के बारे में पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी की एक प्रमुख सदस्य और रूसी स्टेट ड्यूमा की पूर्व सदस्य एलेना पैनिना ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट साझा कर ग्रीनलैंड खरीदने से रूस को होने वाले फायदों का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है, "रूस के लिए, ट्रम्प द्वारा ग्रीनलैंड की योजनाओं के कार्यान्वयन के सकारात्मक सैन्य परिणाम निकलेंगे क्योंकि यह द्वीप सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा बन जाएगा। इससे पहले यह दर्जा अमेरिकी थुले बेस को प्राप्त है, जो मिसाइल डिफेंस सिस्टम की कमी है लेकिन अब ग्रीनलैंड पर अमेरिकी कब्जा होने से यह फिर से अमेरिकी रणनीतिक बमवर्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा बन सकता है।"

बहरहाल, ट्रंप ग्रीनलैंड को खरीदने में सक्षम हो पाते हैं या नहीं, यह बाद की बात है लेकिन उनकी बयानबाजी से अन्य प्रमुख वैश्विक शक्तियों के भू-राजनीतिक निर्णय लेने और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं में बदलाव आ सकता है। इसमें रूस के अपने तत्काल पड़ोसियों और उससे भी आगे पुतिन के विस्तारवादी उद्देश्य भी शामिल हैं। रूस अपनी विस्तारवादी नीति को और बढ़ा सकता है।

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बता दें कि रविवार को डेनमार्क में अपने राजदूत के नाम की घोषणा करते हुए ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘‘पूरी दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के उद्देश्य से, अमेरिका को लगता है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण एक परम आवश्यकता है।’’ इससे पहले उन्होंने सप्ताहांत में सुझाव दिया था कि यदि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले पनामा जलमार्ग का उपयोग करने के लिए आवश्यक बढ़ती पोत परिवहन लागत को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाता है, तो उनका देश पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण कर सकता है। बड़ी बात यह है कि इससे पहले वह कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ‘ग्रेट स्टेट ऑफ कनाडा’ का ‘गवर्नर’ बनाने का सुझाव भी दे चुके हैं।

ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच स्थित है। यह 80 प्रतिशत बर्फ की चादर से ढका हुआ है और यहां एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा है। डेनमार्क के शासनाध्यक्ष म्यूटे बोरुप एगेडे ने कहा है कि ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की ट्रंप की नवीनतम अपील उनके पहले कार्यकाल की तरह ही निरर्थक रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रीनलैंड हमारा है। हम बिक्री के लिए तैयार नहीं हैं और कभी भी बिक्री नहीं करेंगे। हमें स्वतंत्रता के लिए अपनी वर्षों पुरानी लड़ाई नहीं हारनी चाहिए।”

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