Hindi Newsविदेश न्यूज़Explained How India surpasses China to become Russia top oil buyer in July

कोई नहीं है टक्कर में! चीन को पीछे छोड़ रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बना भारत

  • अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। वहीं यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के जवाब में इन देशों ने रूस के तेल खरीद लगभग बंद कर दी है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 22 Aug 2024 08:15 PM
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जुलाई में भारत रूस से तेल खरीदने के मामले में चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बन गया। चीन की रिफाइनर कंपनियों का कहना है कि उन्हें ईंधन उत्पादन से उतना लाभ हासिल नहीं हो रहा है जितना की पहले होता था। इसी वजह से उन्होंने रूसी तेल की खरीद को कम कर दिया। लेकिन इसके चलते भारत की तेल खरीद बढ़ गई। रूसी कच्चा तेल पिछले महीने भारत के कुल आयात का रिकॉर्ड 44% रहा, जो जून की तुलना में 4.2% और एक साल पहले की तुलना में 12% अधिक था।

समाचार एजेंसी रायटर्स ने आयात आंकड़ों के हवाले से ये जानकारी दी। इसने बताया कि भारत ने जुलाई में रूस से रोजाना 2.07 मिलियन बैरल (बीपीडी) तेल आयात किया, जो कि एक नया रिकॉर्ड है। यह आंकड़ा व्यापार और उद्योग के सूत्रों से प्राप्त भारतीय शिपमेंट डेटा पर आधारित है। वहीं चीन ने जुलाई में रूस से 1.76 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तेल आयात किया, जो भारत से कम है।

रूस पर लगे हैं प्रतिबंध, सस्ते में बेच रहा तेल

अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। वहीं यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के जवाब में इन देशों ने रूस के तेल खरीद लगभग बंद कर दी है। इस कारण रूस भारी छूट पर तेल बेच रहा है। भारतीय रिफाइनर कंपनियां छूट पर बेचे जाने वाले रूसी तेल का भरपूर लाभ उठा रही हैं। एक भारतीय रिफाइनिंग सूत्र ने कहा कि जब तक प्रतिबंधों में और अधिक सख्ती नहीं की जाती, भारत की रूसी तेल की खरीद बढ़ती रहेगी। फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से भारत का रूस के साथ व्यापार बढ़ गया है। मुख्य रूप से तेल और उर्वरक आयात के कारण ऐसा हुआ है। भारत का यह कदम वैश्विक कीमतों पर अंकुश लगाने और महंगाई को नियंत्रित करने में मदद कर रहा है।

अब भारत की ओर आ रहा ESPO ब्लेंड

भारत की बढ़ती खरीदारी ने रूसी ESPO ब्लेंड कच्चे तेल के प्रवाह को पारंपरिक चीनी खरीदारों से दक्षिण एशिया की ओर मोड़ दिया है। जुलाई में भारत के ESPO आयात में वृद्धि हुई और यह 188,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तक पहुंच गया। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने इस तेल का आयात करने के लिए इस बार बड़े सुएजमैक्स जहाजों का इस्तेमाल किया था। इस व्यापारिक बदलाव ने भारत को न केवल अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मदद की है, बल्कि इसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित किया है। साथ ही, उर्वरक आयात ने भारत की कृषि उत्पादन में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पूर्वोत्तर चीन में रिफाइनर कंपनियां आमतौर पर अपनी निकटता के कारण सबसे बड़ी ESPO ब्लेंड की खरीदार हैं, लेकिन ईंधन की कम मांग के कारण उनकी मांग में गिरावट आई है। इराक पिछले महीने भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना रहा, उसके बाद सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का स्थान रहा।

ESPO ब्लेंड क्या है?

ESPO ब्लेंड एक प्रकार का कच्चा तेल है जो रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र से आता है। इसे "East Siberia-Pacific Ocean" (ESPO) पाइपलाइन के माध्यम से निर्यात किया जाता है, इसलिए इसका नाम ESPO ब्लेंड पड़ा है। इस तेल की क्वालिटी बेहद हाई मानी जाती है क्योंकि इसमें सल्फर की मात्रा कम होती है, जिससे इसे परिष्कृत (refine) करना आसान होता है और यह पेट्रोल, डीजल जैसे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के उत्पादन के लिए उपयुक्त होता है। ESPO ब्लेंड का प्रमुख खरीदार पहले चीन था, लेकिन हाल के समय में भारत भी इसका बड़ा आयातक बन गया है। ESPO ब्लेंड की मांग इसलिए भी अधिक होती है क्योंकि इसे परिष्करण (refining) में कम लागत आती है और इससे उच्च गुणवत्ता वाले ईंधन का उत्पादन होता है।

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