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अंतरिक्ष यात्रा से शरीर पर क्या होता है असर? स्टडी ने बताया भीतरी अंगों में कैसे आता है बदलाव

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स इन दिनों स्पेस में फंसी हुई हैं। नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन उनका ठिकाना बना हुआ है। इस बीच अंतरिक्ष यात्रियों पर एक स्टडी आई है। इसमें बताया गया है अंतरिक्ष यात्रा से शरीर पर क्या-क्या असर पड़ता है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तानSun, 1 Sep 2024 06:50 AM
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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स इन दिनों स्पेस में फंसी हुई हैं। नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन उनका ठिकाना बना हुआ है। इस बीच अंतरिक्ष यात्रियों पर एक स्टडी आई है। इसमें बताया गया है अंतरिक्ष यात्रा से शरीर पर क्या-क्या असर पड़ता है। इस स्टडी के मुताबिक अंतरिक्ष की यात्रा से पेट के अंदरूनी अंगों में ऐसे बदलाव आ सकते हैं जो उनके इम्यून सिस्टम और पाचन क्रिया पर असर डाल सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ये नतीजे यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियान अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं। यह स्टडी भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए काफी मददगार होगी।

कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की अगुवाई में एक दल ने आनुवंशिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर तीन महीने की अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर गए चूहे की आंत, मलाशय और यकृत में परिवर्तनों का विश्लेषण किया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा या अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से स्थापित आईएसएस पृथ्वी की कक्षा में स्थित एक अंतरिक्ष यान है। यह एक विशिष्ट विज्ञान प्रयोगशाला है और अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों का घर है। 

अध्ययन के लेखकों ने आंत के बैक्टीरिया में परिवर्तन पाया जो चूहे के यकृत और आंतों के जीन में बदलावों को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि अंतरिक्ष की यात्रा से प्रतिरक्षा प्रणाली पर दबाव पड़ सकता है और खाना पचने की प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है। पत्रिका ‘एनपीजे बायोफिल्म्स एंड माइक्रोबायोम्स’ में प्रकाशित अध्ययन में लेखकों ने लिखा कि ये अंत: क्रियाएं आंत-यकृत अक्ष पर असर डालने वाले संकेतों, चयापचय प्रणाली और प्रतिरक्षा कारकों में व्यवधान का संकेत देती हैं। यह ग्लूकोज और लिपिड (वसा) के रेगुलेशन को प्रेरित करने की संभावना रखते हैं।

रिसर्चर्स ने कहा कि इस स्टडी के रिजल्ट्स कई तरह से फायदा पहुंचाएंगा। इससे सुरक्षा उपायों को डेवलप करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा चंद्रमा पर लंबे समय तक रुकने से लेकर मंगल ग्रह पर मनुष्यों को भेजने तक भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की सफलता में भी इसका फायदा मिलेगा।

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