Hindi Newsविदेश न्यूज़China to build world largest hydropower dam in Tibet to effect millions in India Bangladesh

तिब्बत में दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाएगा चीन; भारत और बांग्लादेश की बढ़ी टेंशन

  • चीन ने दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डैम बनाने की योजना को मंजूरी दे दी है। तिब्बत में यारलुंग ज़ंग्बो नदी के निचले इलाकों में बनाए जा रहे इस बांध से सालाना 300 बिलियन किलोवाट प्रति घंटे बिजली उत्पादन होने का अनुमान है। हालांकि भारत और बांग्लादेश के लिए यह खबर चिंताजनक है।

Jagriti Kumari रॉयटर्स, बीजिंगThu, 26 Dec 2024 11:35 AM
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तिब्बत में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने की दिशा में चीन ने एक और कदम उठाया है। चीन ने यहां दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डैम के निर्माण की योजना को मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक यह चीन के तिब्बत के पूर्वी हिस्से से जुड़ी एक महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। चीन के पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प द्वारा अनुमान के मुताबिक इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र नदी के निचले इलाकों में किया जाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यारलुंग ज़ंग्बो के नाम से जाना जाता है जहां चीन ने यह बांध बनाने की योजना बनाई है। हालांकि यह बांध भारत और बांग्लादेश में लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है।

चीन के अनुमान के मुताबिक यह बांध सालाना 300 बिलियन किलोवाट प्रति घंटे बिजली का उत्पादन कर सकता है। यह मध्य चीन में मौजूद फिलहाल दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्ज डैम की 88.2 बिलियन kWh की क्षमता से तीन गुना अधिक होगा। बुधवार को आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि यह परियोजना चीन के कार्बन पीकिंग और कार्बन न्यूट्रलिटी के लक्ष्यों को पूरा करने, इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों को प्रोत्साहित करने और तिब्बत में रोजगार पैदा करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। बांध के निर्माण में लगने वाले खर्च की बात करे तो यह थ्री गॉर्ज बांध की तुलना से भी ज्यादा होने की उम्मीद है, जिसकी लागत करीब 34.83 बिलियन डॉलर थी।

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भारत और बांग्लादेश की बढ़ी टेंशन

ब्रह्मपुत्र नदी का एक हिस्सा 50 किलोमीटर की छोटी सी दूरी में 2,000 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। इस वजह से यह हाइड्रोपावर के लिए सटीक स्त्रोत बन सकता है। हालांकि भारत और बांग्लादेश ने इस बांध को लेकर चिंता जताई है। इस परियोजना से न केवल स्थानीय इकोसिस्टम को नुकसान होगा बल्कि यह नीचे की ओर नदी के प्रवाह और दिशा में भी बदलाव आ सकता है। गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलकर दक्षिण में भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों में बहते हुए अंत में बांग्लादेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी पहुंचती है।

चीन ने नहीं दिए हैं जवाब

चीनी अधिकारियों ने अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी है कि परियोजना के लिए तिब्बत के कितने लोगों को विस्थापित करना होगा। यह सवाल भी उठ रहे हैं कि यह बांध तिब्बत के सबसे समृद्ध और सबसे विविध पठारों और यहां के पर्यावरण को कैसे प्रभावित करेगा। चीनी अधिकारियों के अनुसार तिब्बत में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स पर्यावरण या भारत और बांग्लादेश जैसे देशों की तरफ जल आपूर्ति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं डालेंगी

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