Hindi Newsविदेश न्यूज़China Population Shrinks for Third Year raises serious economic concern

लगातार तीसरे साल घट गई चीन की आबादी; क्यों बढ़ती जा रही है ड्रैगन की टेंशन?

  • चीन इन दिनों अपनी बूढ़ी होती आबादी को लेकर चिंतित है। देश में जन्म दर को बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशों के बावजूद लगातार तीसरे साल देश की आबादी घट गई है। इसका चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानFri, 17 Jan 2025 09:42 AM
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चीन बीते कुछ सालों से अपनी आबादी को लेकर कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहा है। बूढ़ी होती आबादी और घटते जन्म दर को दुरुस्त करने के लिए चीन कई तरह की कोशिशें भी कर रहा है। अब खबर आई है कि चीन की जनसंख्या में तीसरे साल कमी आई है। चीन की राष्ट्रीय एजेंसी ने बताया है कि इस साल देश में जन्म दर में थोड़ी बढ़ोतरी जरूर हुई, पर इसका आबादी पर अधिक असर नहीं पड़ा। यह चीन की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

चीन की नेशनल स्टेटिस्टिक्स ब्यूरो ने शुक्रवार को नए आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल चीन आबादी 1.39 मिलियन से घट कर 1.408 बिलियन रह गई है। साल 2024 में देश में लगभग 9.54 मिलियन बच्चे पैदा हुए जो पिछले साल की तुलना में 5,20,000 अधिक है। जानकारों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के तीन सालों के दौरान लोग बच्चों को जन्म देने से रुक रहे थे और कई जोड़ों ने 2024 में बच्चे पैदा करने का विकल्प चुना। यही वृद्धि का मुख्य कारण है। हालांकि आबादी पर इसका असर नहीं पड़ा।

1960 से घट रहा है जन्म दर

लगातार तीसरे साल आबादी में यह गिरावट दर्शाती है कि चीनी सरकार ने दशकों से जो प्रतिबंध लगाए रखें अब उसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है। 1960 के दशक से देश में नवजात शिशुओं की संख्या में लगातार गिरावट आई है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस ने की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की जनसंख्या 2035 तक घटकर 1.36 बिलियन रह जाएगी, जो 2012 के बाद से सबसे कम है।

आर्थिक उन्नति को पहुंचेगी क्षति

फिलहाल चीन दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए राजी करने में जुटा है और इसके लिए कई इंसेंटिव्स भी दे रहा है। अधिकारियों ने एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले परिवारों को घर, स्वास्थ्य सुरक्षा और रोजगार में मदद देने की भी बात की है। चीन की जनसांख्यिकीय चुनौतियां अंततः देश की आर्थिक उन्नति को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकती हैं। वर्कफोर्स के सिकुड़ने के आसार बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा बढ़ती हुई बूढ़ी आबादी के लिए पेंशन और मेडिकल खर्चे सरकार पर और दबाव डालेगी।

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